शिमला, 21 जून। राजधानी शिमला में बंदरों और आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक से निजात दिलाने के लिए दायर जनहित याचिकाओं पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने इस मामले में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को पक्षकार बनाया है।
खंडपीठ ने प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल को सलाह दी है कि वे अन्य निकायों जैसे कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिला स्थित तिरुपति देवस्थानम से परामर्श करें, जहां बंदरों व आवारा कुत्तों की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से हल निकाला गया है। कोर्ट ने इस सम्बंध में सुनवाई की अगली तारीख पर एक उपयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। नगर निगम शिमला इस मामले में पहले ही अनुपालन हलफनामा दायर कर चुका है।
इसके साथ ही खंडपीठ ने भारत के पशु कल्याण बोर्ड, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (पशुपालन और डेयरी विभाग) को सचिव फरीदाबाद हरियाणा के माध्यम से शिमला शहर और उसके आसपास के परिवेश में बंदरों के खतरे से निपटने के लिए सुझाव देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
बता दें कि शिमला शहर में जगह-जगह बंदरों और कुत्तों के झुंड होने से लोगों को आवाजाही करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां के मशहूर रिज मैदान पर आवारा कुत्ते झुंडों में देखे जा सकते हैं। कुत्ते और बंदर अक्सर यहां घूमने आने वाले सैलानियों पर भी हमला कर देते हैं। पिछले दिनों शहर के उपनगर टूटू में बंदरों के हमले से बचने के लिए कॉलेज छात्रा घर की तीसरी मंजिल से कूद गई थी। हादसे में उसकी मौके पर मौत हो गई थी।