मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी, जो देश के अग्रणी द्वितीय पीढ़ी के आईआईटी में से एक है, ने गर्वपूर्वक घोषणा की है कि उसे टाटा ट्रस्ट्स से एक प्रतिष्ठित अनुदान प्राप्त हुआ है अपने दूरदर्शी परियोजना के लिए — “टाटा ट्रस्ट्स समर्थित ऑगमेंटेड फैसिलिटीज फॉर एम्पावरिंग रेजिलिएंस इन हिमालयन हिल्स (टाटा ट्रस्ट्स सेफर हिल्स)”
यह पांच वर्ष की परियोजना (अगस्त 2025 से जुलाई 2030 तक) हिमालयी क्षेत्र में आपदा तैयारी और सामुदायिक नवाचार को सशक्त बनाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है। यह परियोजना आईआईटी मंडी के सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड डिजास्टर मैनेजमेंट (C3DAR) के तत्वावधान में लागू की जाएगी।
इस पहल का उद्देश्य उन्नत अनुसंधान सुविधाओं का निर्माण, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना, और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं के प्रभाव को कम करने हेतु सतत प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप विकसित करना है। इस शोध का परिणाम न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए लाभकारी होगा।
आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मिधर बेहेरा ने कहा, “हाल ही में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भूस्खलन और बाढ़ से हुई तबाही ने हमें लचीले तंत्रों की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाई है। टाटा ट्रस्ट्स के उदार सहयोग से हम अत्याधुनिक अनुसंधान को आगे बढ़ाएंगे, सामुदायिक लचीलापन को मजबूत करेंगे, और ऐसे नवाचारी समाधान विकसित करेंगे जो जीवन और आजीविका दोनों की रक्षा करेंगे। यह पहल दर्शाती है कि कैसे अकादमिक जगत और परोपकार मिलकर समाज पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।”
आईआईटी मंडी के संसाधन सृजन एवं पूर्व छात्र संबंध डीन प्रो. वरुण दत्त ने कहा, “हम टाटा ट्रस्ट्स के प्रति आभारी हैं जिन्होंने टाटा ट्रस्ट्स सेफर हिल्स पहल का समर्थन किया है। यह सहयोग आईआईटी मंडी को भूस्खलन जोखिम में कमी और हिमालयी समुदायों में लचीलापन बढ़ाने के लिए प्रभावशाली समाधान विकसित करने में सक्षम बनाएगा। वैज्ञानिक नवाचार और स्थानीय सहभागिता को जोड़ते हुए, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और टिकाऊ पर्वतीय समुदायों का निर्माण करना चाहते हैं।”
टाटा ट्रस्ट्स सेफर हिल्स अनुदान अकादमिक संस्थानों और परोपकारी संगठनों के बीच साझेदारी की शक्ति को दर्शाता है, जो समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने का माध्यम बनती है। टाटा ट्रस्ट्स के सहयोग से आईआईटी मंडी भूकंप, भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं में जोखिम न्यूनीकरण हेतु नवाचार का नेतृत्व करेगा, साथ ही हिमालयी समुदायों में लचीलापन को सुदृढ़ करेगा।
सी3डीएआर की चेयरपर्सन डॉ. कला वी. उदय ने कहा, “सी3डीएआर में हमारा मिशन उन्नत तकनीकों को सतत प्रथाओं के साथ जोड़कर लचीलापन विकसित करना है। टाटा ट्रस्ट्स सेफर हिल्स पहल के अंतर्गत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों का विस्तार, भूकंप तैयारी को सुदृढ़ करना, तथा सामुदायिक एवं प्रकृति-आधारित समाधानों का एकीकरण किया जाएगा, जिससे देश के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों के लिए भी अनुकरणीय मॉडल तैयार होंगे।”
टाटा ट्रस्ट्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सिद्धार्थ शर्मा ने कहा, “मंडी में हाल की तबाही इस क्षेत्र के जोखिमों और यहां के लोगों एवं पारिस्थितिकी तंत्र की लचीलापन की सख्त परीक्षा का प्रमाण है। टाटा ट्रस्ट्स का हमेशा से यह संकल्प रहा है कि हम ऐसे संस्थानों और साझेदारियों को विकसित करें जो अनुसंधान और स्थानीय ज्ञान को सतत कार्यों में रूपांतरित करें। आईआईटी मंडी के साथ सेफर हिल्स पहल के तहत यह सहयोग उसी विश्वास का प्रतीक है — जो विज्ञान, सामुदायिक अंतर्दृष्टि और संस्थागत क्षमता को जोड़कर ऐसे व्यावहारिक समाधान तैयार करेगा जो जलवायु जोखिमों से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की रक्षा करेंगे।”
संस्थान की ओर से डीओआरए कार्यालय और सी3डीएआर ने टाटा ट्रस्ट्स के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस ऐतिहासिक सहयोग को संभव बनाने में डीओआरए टीम, सी3डीएआर की अध्यक्ष एवं संकाय सदस्यों, तथा संस्थान के व्यापक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के योगदान को भी सराहा।
यह अनुदान आईआईटी मंडी की उच्च-प्रभावी अनुसंधान, सामाजिक सहभागिता और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करता है, जो राष्ट्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं के अनुरूप है।