नई दिल्ली। परंपरा और तकनीक के संगम पर खड़ा कर्नाटक- एक ऐसा राज्य है, जहाँ कूर्ग के कॉफ़ी बागानों की सुगंध, पीन्या से होसुर तक फैली औद्योगिक मशीनरी की गूँज से जा मिलती है । दक्षिण कन्नड़ के तटीय मत्स्य पालन से लेकर मैसूर और बीदर के हस्तशिल्प केंद्रों तक, राज्य की अर्थव्यवस्था भारत की विविधता, मजबूती और उद्यमशीलता की भावना को प्रतिबिम्बित करती है।
हाल ही में जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाया जाना कर्नाटक की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिससे कृषि, विनिर्माण और सेवाओं में व्यापक राहत मिलती है। कॉफी, डेयरी, वस्त्र, हस्तशिल्प, कॉयर और आवश्यक औद्योगिक कच्चे माल जैसी प्रमुख वस्तुओं पर कर की दरों को कम करके ये सुधार सामर्थ्य बढ़ाने, घरेलू मांग को प्रोत्साहित करने तथा एमएसएमई और निर्यातकों दोनों की प्रतिस्पर्धात्मकता को समान रूप से मजबूती प्रदान करने को तैयार हैं।
इस नए ढाँचे के साथ, कर्नाटक के किसानों, कारीगरों और उद्यमियों को कम अनुपालन लागत, मज़बूत मूल्य श्रृंखलाओं और विस्तारित बाज़ार पहुँच का लाभ मिलेगा। कर्नाटक के समावेशी, नवाचार-आधारित और सतत विकास के दृष्टिकोण को सुदृढ़ बनाते हुए यह तर्कसंगतता भारत के कराधान के सरलीकरण के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
कृषि और ग्रामीण आजीविका
कॉफ़ी
कर्नाटक भारत की कॉफ़ी अर्थव्यवस्था का केंद्र है, जो कोडगु, चिकमगलूर और हासन में केंद्रित बागानों के साथ देश के कुल उत्पादन में लगभग 71% का योगदान देता है। इस क्षेत्र में छोटे और सीमांत उत्पादकों का वर्चस्व है, जो राष्ट्रीय स्तर पर कॉफ़ी की खेती और प्रसंस्करण में लगे 6.7 लाख लोगों का हिस्सा हैं, जिनमें से अधिकांश कर्नाटक के मालेनाडु क्षेत्र से हैं।
हाल ही में कॉफ़ी एक्सट्रेक्ट, एसेंस और इंस्टेंट कॉफ़ी पर जीएसटी की दर 18% से घटाकर 5% करने से बड़ा राजकोषीय प्रोत्साहन मिला है, जिससे खुदरा कीमतों में 11-12% की कमी आने की उम्मीद है। इस बदलाव से घरेलू मांग बढ़ेगी, छोटे प्रसंस्करणकर्ताओं और सहकारी समितियों के मार्जिन में सुधार होगा, तथा भारत और वैश्विक प्रति व्यक्ति कॉफ़ी खपत के बीच का अंतर कम होगा।
कूर्ग अरेबिका, चिकमगलूर अरेबिका और बाबाबुदनगिरिस अरेबिका सहित कर्नाटक में छाया में उगाई जाने वाली अरेबिका और रोबस्टा किस्में, जो सभी जीआई-टैग प्राप्त हैं और इटली, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में इनकी निर्यात मांग काफी अधिक है। दरों में कटौती से घरेलू और वैश्विक दोनों बाजारों में कर्नाटक के उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मकता मजबूत हुई है।
कर्नाटक दुग्ध महासंघ (केएमएफ) के नेतृत्व में कर्नाटक का डेयरी क्षेत्र, ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है, जो 26 लाख से ज़्यादा दुग्ध उत्पादकों को सहायता प्रदान करता है, जिनमें से अधिकांश छोटे और सीमांत किसान हैं। बेंगलुरु, मैसूर, हासन और तुमकुरु के प्रमुख प्रसंस्करण केंद्रों सहित राज्य भर में 15,000 से ज़्यादा प्राथमिक डेयरी सहकारी समितियों के साथ, यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लगभग 22 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
ग्रामीण उत्पादकों को शहरी उपभोक्ताओं से जोड़कर केएमएफ का प्रमुख ब्रांड नंदिनी सहकारी सफलता का प्रतीक बन गया है। वित्त वर्ष 2024 में, कर्नाटक ने 13.46 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया, जबकि केएमएफ ने प्रतिदिन औसतन 52.7 लाख लीटर दूध बेचा, जिससे यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था बन गया।
