शिमला, 23 अगस्त। हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर मॉनसून का रौद्र रूप देखने को मिला है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में मंगलवार की रात से शुरू हुआ तेज़ बारिश का दौर बुधवार शाम तक जारी रहा। बिलासपुर, शिमला, कांगड़ा और मंडी जिलों में व्यापक बरसात हुई है। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बीते 24 घण्टों के दौरान वर्षा जनित हादसों में 13 लोग मारे गए और छह लापता हैं। इस दौरान राज्य के 24 स्थानों पर भूस्खलन और तीन स्थानों पर बाढ़ की घटनाएं हुईं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं में छह लोगों की जान गई। जबकि बारिश से जुड़े अन्य हादसों में सात लोगों ने दम तोड़ा। मंडी जिला में पांच, कांगड़ा में तीन, शिमला में दो, सिरमौर, बिलासपुर व चम्बा में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। शिमला के ढली थाना अंतर्गत ब्लदयां में कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रही मजदूर दम्पति की मलबे की चपेट में आने से मौत हुई।
राज्य के कई स्थानों पर भूस्खलन की घटनाओं से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
राज्य के विभिन्न भागों में अधिकतर रास्ते बारिश और भूस्खलन के चलते बंद हैं। शिमला-चंडीगढ़ नेशनल हाइवे-5 सोलन जिला के चक्की मोड़ में भूस्खलन से अवरुद्ध है। मंडी जिला में कुल्लू-मंडी नेशनल हाइवे-21 पण्डोह के समीप हुए भूस्खलन से बाधित है। मंडी जिले में ही मंडी-पठानकोट नेशनल हाइवे-154 भी अवरुद्ध हो गया है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक भूस्खलन से तीन नेशनल हाइवे समेत 709 सड़कें बंद हैं तो 2897 ट्रांसफार्मरों खराब होने से बिजली गुल रही। लोकनिर्माण विभाग के शिमला ज़ोन में सबसे ज्यादा 220 सड़कें बंद हैं। इसी तरह मंडी ज़ोन में 213, हमीरपुर ज़ोन में 180, कांगड़ा ज़ोन में 93 सड़कों पर आवागमन ठप है। इसके अलावा बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर भी खराब पड़े हैं। अकेले मंडी जिला में 1142 ट्रांसफार्मरों के ठप पड़ने से कई गांवों और शहरों में बिजली गुल है। शिमला जिला में 598, सोलन में 410, हमीरपुर में 376, सिरमौर में 158 और कुल्लू में 124 ट्रांसफार्मर बंद हैं। राज्य में भूस्खलन से 214 पेयजल स्कीमें भी प्रभावित हुई हैं। मंडी में 91, शिमला में 73 और बिलासपुर में 47 पेयजल स्कीमें ठप हैं।
राजधानी शिमला में मुसलाधार वर्षा का जबरदस्त कहर देखने को मिला। शहर में जगह-जगह भूस्खलन और पेड़ों के गिरने से सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं और वाहनों व घरों को नुकसान पहुंचा। अंग्रेज़ो के जमाने का बना शिमला रेलवे स्टेशन को भी बारिश से क्षति हुई। सबसे सुरक्षित माना जाने वाले आईजीएमसी अस्पताल में पानी घुसने से कर्मचारियों व मरीजों में हड़कम्प मच गया। आईजीएमसी के स्पेशल वार्ड के छत से पानी बारिश की तरह बरसा। इससे स्पेशल वार्ड में पानी भर गया। स्पेशल वार्ड वीवीआइपी लोगों के लिए रिजर्व रहता है। मौसम विभाग के अनुसार शिमला में सुबह साढ़े आठ बजे तक 132 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड हुई है। शिमला में लगातार ही रही बारिश से भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है। मौसम के तेवरों को देखते हुए लोगों की नींद उड़ गई है। लोग घरों से बाहर निकलने पर असुरक्षित महसूस के रहे हैं।
बादलों के लगातार बरसने से नदी-नाले उफान पर हैं, जिसके चलते राज्य में बाढ़ का खतरा बरकरार है। अगर कुछ दिन और ऐसे बारिश जारी रही तो शिमला समेत हिमाचल के अन्य इलाकों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घण्टों के दौरान बिलासपुर के काहू और मंडी के कोटला में सबसे ज्यादा 210-210 मिलीमीटर वर्षा हुई है। इसके अलावा बिलासपुर सदर, बरठी व पण्डोह में 180-180 मिमी, कण्डाघाट में 160, बंगाणा व कसौली में 150-150, बलद्वारा में 140, शिमला व नैना देवी में 132-132 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई है।
मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में भारी बारिश को लेकर शिमला सहित 10 जिलों को अलर्ट किया है। आगामी 25 अगस्त तक भारी बारिश की आशंका जताई है।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि मानसून के सक्रिय होने से अगले दो दिन व्यापक वर्षा होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 24 अगस्त को भारी वर्षा का ओरेंज और 25 अगस्त को येलो अलर्ट जारी किया गया है। ये अलर्ट शिमला, चम्बा, कुल्लू, मंडी, कांगड़ा, बिलकुल, ऊना, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर जिलों के लिए जारी हुआ है। इन जिलों में अगले 24 घण्टों के दौरान बाढ़ आने की भी चेतावनी दी गई है। मौसम विभाग ने अगले दो दिन इन जिलों में भूस्खलन व पेड़ों के गिरने की आशंका जताई है और घरों से बाहर निकलते समय लोगों को सावधानी बरतने को कहा है। लोगों व सेलानियों से अपील की गई है कि वे भूस्खलन संभावित इलाकों और नदी-नालों के तटों की तरफ न जाएं। 29 अगस्त तक राज्य में मौसम खराब रहेगा।