शिमला, 24 अगस्त। राजधानी शिमला के समरहिल स्थित शिव बावड़ी मंदिर हादसे के 11वें दिन तीन शव बरामद किए गए। इस तरह सभी 20 शव बरामद होने पर शिमला पुलिस प्रशासन ने सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया है।
गुरुवार को प्रशासन ने पोकलेन मशीन मंगवाकर रेसक्यू ऑप्रेशन शुरू किया। दोपहर 2 बजे के करीब पहला शव नीरज ठाकुर का बरामद हुआ। इसके बाद शाम 5 बजे दूसरा शव समायरा का मिला। जबकि शाम 5:15 पर एक और शव बरामद हुआ। इसकी पहचान शमायरा के दादा पवन शर्मा के तौर पर की गई। इस हादसे में कुल 20 शव बरामद किए गए हैं। बीते 14 अगस्त को भारी भूस्खलन हुआ था। जिसमें पूरा मंदिर ही ध्वस्त गया था। हादसे के पहले दिन 14 अगस्त को आठ शव बरामद हुए थे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड, सहित स्थानीय लोगों ने रेसक्यू ऑप्रेशन चलाया था। सेना की मदद भी इसके लिए ली गई थी। रेसक्यू ऑप्रेशन के लिए सेना के चिनूक हैलीकॉप्टर में अंबाला से छोटा जेसीबी रोबोट लाया गया था ताकि वहां पर खुदाई की जा सके। 5 से छह फिट तक खुदाई के बाद भी कोई सफलता नहीं मिल रही थी। जिसके बाद पोकलेन मशीन को ला कर रेसक्यू चलाया गया।
हादसे में 10 दिन बीत जाने के बाद भी 3 लोगों का कोई सुराग नहीं लग पा रहा था। बीते बुधवार को शिमला में भारी बारिश हुई। जिससे उस क्षेत्र में काफी मिट्टी बहकर नाले में चली गई और खुदाई का काम आसान हुआ। इसके बाद यहां पर पोकलेन मशीन लगाई गई और रेसक्यू ऑप्रेशन शुरू किया गया। दोपहर तक सभी शवों को निकाल लिया गया।
शिमला के एसपी संजीव गांधी ने बताया कि सभी लापता लोगों के शव बरामद होने के साथ तलाशी अभियान बंद कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, होमगार्ड, अग्निशमन और जिला पुलिस के जवानों के संयुक्त अभियान में शवों को निकाला गया।
उन्होंने कहा कि सर्च ऑपरेशन में जुटे जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में बड़े साहस से काम किया। शवों को छह से सात फुट नीचे मलबे से निकाला गया। आज शेष तीन शव बरामद हुआ है। मिसिंग रिपोर्ट के अनुसार 20 लोग लापता थे और सभी शव बरामद होने के साथ तलाशी अभियान पूरा हो गया है।
इस दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों को खत्म कर दिया। एक परिवार के सात सदस्यों की मौत हुई है, इनमें तीन मासूम बच्चे भी शामिल हैं। इस परिवार की तीन पीढियां खत्म हो गईं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसर और बालूगंज स्कूल के एक शिक्षक की भी मौत हुई है।
हादसे के पहले दिन आठ, दूसरे दिन चार, तीसरे व चौथे दिन एक-एक और पांचवे दिन दो, छठे दिन एक और 11वें दिन तीन शव बरामद हुए थे।
इन लोगों की गई जान
मृतकों की शिनाख्त संतोष(58) पत्नी पवन, अमन (34) पुत्र पवन, शेयशा (2) पुत्री अमन, नायरा (5) पुत्री अमन, किरण (55) पत्नी प्रदीप, संजीव ठाकुर (48) पुत्र मोहन सिंह, अमित ठाकुर (48), हरीश कुमार पुत्र जगदीश मित्तल (43), अर्चना (32) पत्नी अमन, डॉक्टर मानसी (40) पत्नी हरीश, चित्र रेखा (56) पत्नी पी एल शर्मा, मंदिर के पुजारी सुमन किशोर (52), पीएल शर्मा (58) पुत्र राम दास, ईश शर्मा (28) पुत्र पीएल शर्मा, शंकर नेगी (61) पुत्र राम चंद, नीरज ठाकुर (45) पुत्र शान्ति स्वरूप,पवन शर्मा (64) पुत्र मुल्क राम निवासी एमआई रूम और उनकी पोती समायरा (4) पुत्री अमन के तौर पर हुई है।
श्रावण के आखिरी सोमवार को भूस्खलन ने मिटा दिया था मंदिर का नामो निशान
गौरतलब है कि बीते 14 अगस्त (सोमवार) की सुबह करीब सवा सात बजे भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आने से शिव बावड़ी मंदिर ध्वस्त हो गया था। भूस्खलन इतना ख़ौफ़नाक था कि मंदिर का नामो निशान ही मिट गया। मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं को बच निकलने का समय तक नहीं मिला। भूस्खलन के बाद घटनास्थल पर तबाही का मंजर देखा गया। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घटनास्थल पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया था। इस भयानक हादसे ने कई परिवारों को मौत की नींद सुला दिया।
150 वर्ष पुराना था मंदिर, लोगों की आस्था का था केंद्र, 14 अगस्त को हुआ था हादसा
करीब 150 साल पुराना यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। श्रावण के महीने में मंदिर में शिव भक्तों का तांता लगा रहता था।
बीते 14 अगस्त को सुबह के समय शिव बावड़ी मंदिर में भारी भू सख्लन के चलते 20 के करीब लोग अंदर दब गए थे। इस घटना में मंदिर का पूरा नामो निशान ही मिट गया है। यहां पर एक पुराना मंदिर यानि मूल स्थान ही बच गया है। हादसे वाले दिन सोमवार होने के चलते मंदिर में हवन यज्ञ और खीर के प्रसाद की तैयारी चल रही थी। इससे पहले भूस्खलन ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया।