शिमला, 28 अगस्त। आपदा की मार झेल रहे हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 18 सितंबर से शुरू होगा। मानसून सत्र 25 सितंबर तक चलेगा। सत्र में कुल सात बैठकें होंगी। इस बार सत्र शनिवार को भी लगेगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मानसून सत्र 18 सितंबर से 25 सितंबर तक घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा की वजह से इस बार मानसून सत्र देरी से हो रहा है। सरकार की प्राथमिकता आपदा में लोगों को जन माल से बचाना है।
मौजूदा सुक्खू सरकार का यह पहला मानसून सत्र होगा। विधानसभा सचिवालय ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार सत्र के पूरी तरह हंगामेदार रहने के आसार हैं।
दरअसल भाजपा आरोप लगा रही थी की सत्र जल्द बुलाकर बारिश से हुए नुकसान पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। जब सत्र बुलाया नहीं जा रहा था तो भाजपा ने यह आरोप भी लगाने शुरू कर दिए थे की सुक्खू सरकार सत्र बुलाने से टल रही है। सरकार नहीं चाहती कि बारिश और बदल फटने से हुए नुकसान की जानकारी सही रूप से लोगों के सामने आए। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता तो विशेष सत्र बुलाने की मांग करने लगे थे।
विधानसभा सत्र इसलिए भी हंगामेदार होगा कि सत्तापक्ष और विपक्ष के तरकश में काफ़ी तीखे तीर दिखने लगे हैं। विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर का कहना है कि मानसूनी आपदा में लोगों को राहत देने में सरकार विफल रही है। कांग्रेस सरकार के मंत्री शिमला से बाहर निकलने में गुरेज कर रहे हैं। जिन ग्रामीण सड़कों और राज मार्गों को खोला जा सकता था उन्हें खोलने भी प्रदेश का लोक निर्माण विभाग विफल रहा है। जिस कारण सेब बगीचों से बाहर नहीं आ पाया है। अभी लोग प्रदेश में जहां कहां फंसे पड़े हैं। सरकार का कहना है कि राहत और खाद्य सामग्री फंसे हुए लोगों हर जरिए से पहुंचाई जा रही है। चाहे उसे पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद ही क्यों न लेनी पड़ी हो।
दूसरी तरफ कांग्रेस का मत है कि केंद्र से जितनी घोषणाएं राहत की की गई है। उतनी मिली नहीं है। भाजपा बेवजह श्रय लेने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री दिल खोलकर हिमाचल की आर्थिक मदद कर रहे हैं पर भाजपा के मुख्यमंत्री हिमाचल को मदद के लिए आगे नहीं आ रहे है। इसी वजह से कहा जा रहा कई कि हिमाचल विधानसभा सत्र में दोनों तरफ गर्मी का माहौल बना रहेगा।
हिमाचल में मानसून से हुई भारी तबाही, 10 हज़ार करोड़ के नुकसान का अनुमान
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मानसून ने भारी तबाही मचाई है। राज्य सरकार ने 10 हज़ार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। कांग्रेस इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने या स्पेशल पैकेज देने की मांग कर रही है। बीते 64 दिनों के दौरान मानसून सीजन में वर्षा से जुड़े हादसों में 379 लोगों की जान गई है और 38 लापता हैं। 352 लोग घायल हुए हैं। भूस्खलन व बाढ़ की चपेट में आने से 144 लोग मारे गए हैं। जबकि अन्य वर्षा जनित हादसों में 236 लोगों की मौत हुई। मानसून सीजन में 2457 मकान, 307 दुकानें और 5439 पशुशालाएं पूरी तरह धराशायी हूईं। जबकि 10569 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा। बीते दो महीने में राज्य के 169 स्थानों पर भूस्खलन हुआ और 66 स्थानों पर बाढ़ आया। मानसून सीजन में प्रदेश के सरकारी विभागों को 8604 करोड़ का नुकसान आंका गया है।