हिमाचल सरकार ने अपने अधीन लिया विख्यात पांच सितारा होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल, हाईकोर्ट के स्टे के बाद छोड़ा कब्जा

शिमला, 18 नवंबर। राजधानी शिमला से सटे छराबड़ा में ओबेरॉय समूह के पांच सितारा होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल के कब्जे के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा शनिवार को की गई कार्रवाई पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 21 नवंबर तक रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस सत्येन वैद्य ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी (ईआईएच लिमिटेड) और अन्य बनाम हिमाचल सरकार और अन्य के मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को इस संबंध में आदेश जारी किए। कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि प्रतिवादी राज्य होटल के दैनिक प्रबंधन और कब्जे में हस्तक्षेप नहीं करेगा। इससे पहले आज हिमाचल सरकार ने 500 करोड़ की संपति वाले होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को अपने अधीन ले लिया था। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ओबेरॉय समूह के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीतने के बाद यह कार्रवाई अमल में लाई। लेकिन दोपहर बाद हिमाचल सरकार को अपने इस कदम से पीछे हटना पड़ा। हाईकोर्ट द्वारा स्टे लगाने के बाद वाइल्ड फ्लावर हॉल पर दोबारा से ओबेरॉय समूह का कब्जा हो गया है। इस पूरे घटनाक्रम से शिमला में दिन भर शासन-प्रशासन सहित आम जनता में हलचल रही।

दरअसल हाईकोर्ट के पुराने आदेश पर अमल करते हुए प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार ने ओबराय गु्रप को बड़ा झटका देते हुए प्रकृति की गोद में बसे इस खूबसूरत होटल पर कब्जा जमा लिया। एचपीटीडीसी और जिला प्रशासन की टीमों ने होटल में दबिश दी और संपति को कब्जे में ले लिया। प्रदेश पर्यटन विकास निगम की निदेशक मानसी ठाकुर को इस संपति का प्रशासक नियुक्त किया गया। वहीं एचपीटीडीसी के महा प्रबंधक अनिल तनेजा को इस संपत्ति के प्रबंधन के लिए ओएसडी नियुक्त किया गया।
हालांकि जब हाईकोर्ट ने इस मामले में स्टे देते हुए हिमाचल सरकार के इस एक्शन पर रोक लगाई, तो सरकार को पीछे हटना पड़ा।
पर्यटन विकास निगम की प्रबंध निदेशक मानसी सहाय ठाकुर ने बताया कि वाइल्ड फ्लावर हॉल का कब्जा ले लिया था लेकिन हिमाचल हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद कब्जा छोड़ दिया है।

संपति विवाद मामले में पिछले वर्ष हिमाचल सरकार को हाईकोर्ट से मिली थी बड़ी राहत

हिमाचल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2022 में इस मामले में हिमाचल सरकार को बड़ी राहत दी थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस पांच सितारा होटल को सरकार की संपत्ति ठहराया था। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के पास संपत्ति को ओबरॉय ग्रुप और ईस्ट इंडिया होटल कंपनी से वापस लेने का पूरा अधिकार है। अदालत ने कंपनी के साथ किए करार को रद्द करने के निर्णय को सही ठहराया है।

30 साल पहले भीष्ण आग से तबाह हुआ वाइल्ड फ्लावर हॉल

वर्ष 1993 में भीषण आग लगने से वाइल्ड फ्लावर हॉल पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस स्थान पर नया होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल कंपनी के साथ करार किया था।
अंग्रेजों का आगरामगाह था वाइल्ड फलावर होटल
वाइल्ड फलावर होटल शिमला की शान माना जाता है। शिमला आगमन के दौरान वीवीआईपी लोग इसी होटल में ठहरते हैं। इस होटल की खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोनिया गांधी, अमिताभ बच्चन, एमएस धोनी, सचिन तेंदुलकर, राहुल गांधी जैसी सख्शियतें इस होटल में ठहरना पसंद करती हैं। पियंका गांधी ने इसी होटल के समीप अपना आशियाना बनाया है। खास बात यह है कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान जब शिमला समर कैपिटल थी, तब अंग्रेजों ने इस होटल का निर्माण किया था। वर्ष 1902 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के ब्रिटिश कमांडर इन चीफ लार्ड किचनर सबसे पहले इसी होटल में रहते थे। आजादी के बाद ये संपति भारत सरकार की हुई और बाद में इसे हिमाचल सरकार के पर्यटन विभा को सौंपा गया। वर्ष 1990 में यह संपति ओबराय समूह के पास आई। 1993 में अग्निकांड की भेंट चढ़ने के बाद पर्यटन विकास निगम ने इस होटल को निजी होथों में देने का फैसला लिया। 1995 मे इस संपति को लेकर ईस्ट इंडिया होटल के साथ एग्रीमेंट साइन हुई। वर्ष 2002 में तत्कालीन भाजपा सरकार के समय इस्ट इंडिया होटल के साथ एग्रीमेंट को रदद कर दिया गया। इस पर यह मामला हाईकोर्ट में गया। तब से यह मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। 8350 फुट की उंचाई पर स्थित यह होटल करीब 23 एकड़ जगह में फैला है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *