शिमला, 09 फरवरी। सासंद डॉक्टर सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश के सेब के मुद्दे पर शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा से मुलाकात की है। उन्होंने हिमाचल के सेब बागवानों को पेश आ रही दिक्कतों से अर्जुन मुंडा को अवगत कराया और सेब को उचित दाम दिलवाने का आग्रह किया।
डॉक्टर सिकंदर कुमार ने कृषि मंत्री से अनुरोध किया है कि हिमाचल के सेब की बिक्री के लिए भारत सरकार द्वारा ठोस व्यवस्था की जाए, ताकि प्रदेश के बागवानों को उनकी प्रमुख फसल सेब के उचित दाम मिल सके।
सांसद डॉक्टर सिकंदर कुमार ने कहा कि बदलते मौसम एवं प्राकृतिक आपदाओं के कारण हिमाचली सेब का कारोबार संकट में है। इसके साथ-साथ विदेशों से आने वाले सेब पर आयात शुल्क कम होने से हिमाचली सेब की मांग में गिरावट आई है क्योंकि विदेशी सेब, हिमाचली सेब के मुकाबले सस्ता होता है जिसका खामियाजा हिमाचल के बागवानों को भुगतना पड़ता है।
डॉक्टर सिकंदर कुमार ने कहा कि ऊपरी हिमाचल की सड़कों की हालत भी दयनीय है और कई बार सेब से लदे ट्रक हादसों का शिकार हो जाते हैं। इससे जहां कई बार मानव जीवन की भी हानि हो जाती है और बागवान की फसल भी पूरी तरह बर्बाद हो जाती है। ऐसे में सड़कों की हालत को सुधारा जाना अति आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल का बागवान अपनी सेब की फसलों को लेकर बाहरी राज्यों में बिक्री के लिए ले जाते हैं। बहुत बार देखा गया है कि बाहरी राज्यों में हिमाचल के बागवानों के साथ ठगी की जाती है, जिससे उन्हें उनकी फसल के पैसे नहीं मिलते और उनकी सालभर की मेहनत मिट्टी में मिल जाती है।
डॉक्टर सिकंदर कुमार ने कहा कि सेब उत्पादन के लिए हिमाचल विश्वभर में जाना जाता है। सेब यहां की प्रमुख फसल है। प्रदेश की लगभग 1,15,016 हैक्टेयर भूमि पर सेब का उत्पादन किया जाता है। ऊपरी हिमाचल की आर्थिकी का मुख्य स्त्रोत सेब ही है। हालांकि बदलते समय के साथ-साथ, नई-नई कृषि तकनीकों व पौधों की विभिन्न किस्मों के कारण निचले हिमाचल में भी सेब के उत्पादन के साधन विकसित होने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में लगभग हर साल 3 करोड़ से 4 करोड़ पेटियों की पैदावार होती है परन्तु कई बार मौसम की बेरूखी की वजह से पैदावार में गिरावट आ जाती है। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से हिमाचल के सेब की बिक्री के लिए कारगर व्यवस्था बनाने का आग्रह किया है।