शिमला, 07 मार्च। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा यानी एचएएस की परीक्षा मुश्किल परीक्षा में से एक होती है। कुछ उम्मीदवार सालों की मेहनत के बाद इस परीक्षा में कामयाब हो जाते हैं, तो कुछ असफल। वहीं कुछ ऐसे उम्मीदवार भी होते हैं, जो असफल होने के बाद भी हार नहीं मानते। हम बात कर रहे हैं शिमला जिला के रामपुर उपमंडल से पहली एचएएस अधिकारी बनी नेहा नेगी की, जिन्होंने चोैथे प्रयास में एचएएस की परीक्षा पास की।
एचएएस परीक्षा को क्रैक करने वाली 28 वर्षीय नेहा नेगी उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जिन्होंने कभी हार न मानने की ठानी है। नेहा एचएएस परीक्षा के तीन प्रयासों में असफल रही। वह प्रारंभिक परीक्षा भी नहीं क्लीयर कर पाई थी, लेकिन अब उन्होंने छटी रैंक हासिल कर एचएएस की परीक्षा पास की।
ग्रामीण पृष्ठभूमि की नेहा का जन्म और पालन पोषण अप्पर शिमला के रामपुर बुशहर के सराहन में हुआ। उनकी प्राथमिक और दसवीं तक की शिक्षा सराहन में हुई। दसवीं में वह अपने स्कूल में टाॅपर रही। बाहरवीं की परीक्षा शिमला के डीएवी लक्कड़ बाजार से हुई। इसके बाद चंडीगढ़ डीएवी काॅलेज से बीएससी मेडिकल में की। फिर अपना स्ट्रीम बदला और पंजाब यूनिविर्सिटी से पीजी इतिहास में की। उन्होंने इतिहास में नेट भी पास किया है। नेहा ने बताया कि काॅलेज के अंतिम वर्ष में उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का मन बनाया था। पीजी करते समय सिविल सर्विसेज परीक्षा के लिए गंभीरता से पढ़ना शुरू किया। उन्होंने बताया कि लगातार तीन बार एचएएस की प्रारंभिक परीक्षा क्लीयर न होने के बावजूद भी वो कभी हताश नहीं हुईं और तैयारी करती रहीं। नेहा के मुताबिक वह चंडीगढ़ में रोजाना 8 से 10 घंटे लाइबे्ररी में पढ़ने के बाद टयूशन वर्क भी करती थीं। नेहा ने कहा कि उनके माता-पिता और ताया उनकी प्रेरणा बने। तीन प्रयास में उनका प्रीलिम्स क्लियर नहीं हो पाया था। तीन बार असफल होने के बाद भी नेहा का हौंसला डगमगाया नहीं। उन्होंने फिर से परीक्षा देने के बारे में सोचा और चैथे प्रयास में यह कठिन परीक्षा पास कर ली।
नेहा का कहना है कि जो युवा सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं, वो कभी भी हताशा न पालें और आखिर तक अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए मेहनत करते रहें। नेहा के पिता आईटीबीपी में तैनात हैं। उनकी माता गृहिणी और छोटा भाई हिमाचल पुलिस में सेवारत है।