शिमला, 31 जनवरी। हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में विधायिका की भूमिका अहम है। कानून संसद तथा विधान सभा में बनाये जाते है जबकि उसे बनाने वाले सांसद और विधायक है। पठानिया मंगलवार को हिमाचल विधानसभा में नवनिर्वाचित और पहली बार विधायक बने सदस्यों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सदस्यों को बहुत कुछ सीखने को मिला है। जहां विधायी शोध के वक्ताओं द्वारा पार्लियामेंट्री रिसर्च स्टडीज, संसदीय प्रणाली संवैधानिक विषयों तथा विधान सभा की आन्तरिक प्रणाली की जानकारी दी गई। साथ ही विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं तथा उनके उतरदायित्व व कर्तव्यों के बारे भी विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त अन्य कई विषयों जैसे कि एक विधायक कैसे सशक्त व प्रभावी हो सकता है, समितियों में क्या भूमिका होगी,वित्तिय दावे तथा विशेषाधिकार , बजट दस्तावेजों को समझना इत्यादि शामिल है।
पठानिया ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से जहां विधायकों को कम से कम समय में यथार्थ बोलना, सदन के समय का सदुपयोग, सार्थक चर्चा तथा किस तरह से सदन में अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं को उठाना, चर्चा से उनका समाधान करना वहीं नियमों की परिधि में रहकर अपने क्षेत्र के लोगो के सामयिक मुद्दों को उठाना तथा उसका निवारण करना चाहिए शामिल है।
इस अवसर पर विस अध्यक्ष ने कौंसिल चैम्बर के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कौंसिल चैम्बर का इतिहास गौरवशाली, अतुलनीय तथा अविस्वसनीय रहा है। इसी कौंसिल चैम्बर में देश के प्रथम राष्ट्रीय विधान मण्डल के चेयरमैन का चुनाव हुआ था जिसमें स्व0 विठ्ठल भाई पटेल ने स्वराज पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपने अंग्रेज प्रतिद्वंदी को दो मतों से पराजित कर विजयी हुए थे।
पठानिया ने कहा कि विठ्ठल भाई पटेल एक उच्च व्यक्तित्व वाले महा पुरूष थे जिनकी कार्यशैली का लोहा उनके प्रतिद्वंदी तथा बड़े-बड़े विद्वान भी मानते थे।