शिमला, 27 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के कोटखाई क्षेत्र में स्कूटी के वीआईपी नंबर एचपी 99-9999 की नीलामी के जरिये बिक्री नहीं हो पाई है। इस वीआईपी नम्बर के लिए परिवहन विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर एक करोड़ से अधिक की बोली लगाने वाले तीनों शख्सों ने तय समय सीमा पूरी होने तक बोली की रकम जमा नहीं करवाई है। ऐसे में निर्धारित नियमों के तहत स्कूटी के नम्बर के लिए बोली की प्रक्रिया रद्द कर दी गई है। अब स्पेशल नम्बर के लिए नए सिरे से बोली लगाई जाएगी।
दरअसल स्कूटी का उक्त स्पेशल नम्बर पिछले दिनों तब चर्चा में आया, जब इस नम्बर को हासिल करने के लिए देशराज नामक एक शख्स ने 1.12 करोड़ की अधिकतम बोली लगाई। देशराज को इस रकम की 30 फीसदी राशि जमा करवाने के लिए 3 दिन का समय मिला था। लेकिन उसने रकम जमा नहीं करवाई। इसके बाद 1.11 करोड़ की बोली लगाकर दूसरे नम्बर पर रहे संजय भी तय समय तक यह रकम जमा नहीं करवा पाया। परिवहन विभाग के होश तब उसे जब 1 करोड़ 500 रुपये की बोली लगाने वाला तीसरा बोलीदाता धर्मबीर सिंह भी सामने नहीं आया।
इस तरह बोली में अव्वल रहने वाले तीनों शख्सों ने स्पेशल नम्बर को हासिल करने के लिए पैसे जमा करवाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस तरह तीनों बोलीदाता फ्राड साबित हुए हैं। तीसरे व आखिरी बोलीदाता को कुल रकम में से 30 प्रतिशत पंजीकरण फीस जमा करवाने के लिए तीन दिन का समय दिया था। यह समय रविवार रात 12 बजे पूरा हो गया है।
परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले देशराज ने अपना पता थाना 192, तहसील बद्दी, जिला सोलन भरा है। दूसरे नंबर पर संजय कुमार ने अपना पता ब्लॉक नंबर वन, हाउस नंबर दो, होटल पीटरहॉफ शिमला भरा है। तीसरे नंबर पर धर्मवीर सिंह ने अपना पता वार्ड नंबर-4, गांव कंडवाल, तहसील नूरपुर जिला कांगड़ा भरा है।
तीनों बोलीदाताओं पर दर्ज हो सकता है सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का मामला
परिवहन विभाग की ओर से इन तीनों बोलीदाताओं को कुल नौ दिनों का समय दिया गया है। बोली से पीछे हटने पर इन तीनों के खिलाफ अब परिवहन विभाग कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है। सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने पर इनके विरुद्ध मामला दर्ज किया जा सकता है। सूबे के उपमुख्यमंत्री और परिवहन विभाग देख रहे मुकेश अग्निहोत्री ने पिछले दिनों परिवहन निदेशक को निर्देश दिए हैं कि यदि स्पेशल नंबर को बोलीदाता नहीं खरीदते हैं, तो संबंधित लोगों के खिलाफ सरकारी सिस्टम के दुरुपयोग और जानबूझकर धोखाधड़ी करने के मामले में केस दर्ज किया जाए। विभाग को कहा गया है कि यह जांच पहले एसडीएम को दी जाए और उसके बाद मामला पुलिस को सौंपा जाए।