संजौली मस्ज़िद विवाद पर MC कोर्ट में सुनवाई, मस्जिद तीन फ्लोर तोड़ने के आदेश, 21 दिसम्बर को अगली सुनवाई

शिमला। संजौली मस्ज़िद विवाद में नही थर्ड पार्टी बनाने से एमसी कोर्ट का इंकार।शिमला की संजौली अवैध मस्जिद पर आज नगर निगम आयुक्त कोर्ट में सुनवाई हुई। इस पर पूरे प्रदेश के हिंदू समाज की नजरें टिकी हुई थी. दोनों पक्षों की तरफ़ से कोर्ट में सुनवाई हुई। कमिश्नर के आदेश पर संबंधित एरिया के जूनियर इंजीनियर ने मस्जिद के निर्माण की पैमाइश और नक्शे की रिपोर्ट तैयार की थी, जिसको आज कोर्ट में पेश किया गया है.स्थानीय लोगों के पक्ष के वकील ने मस्ज़िद को तोड़ने की मांग उठाई। वकील के मुताबिक 2011 में एमसी ने मस्जिद कमेटी को पहला नोटिस दिया। 2018 तक पांच मंजिला बिल्डिंग कैसे बना दी गई। कोई रिकॉर्ड एमसी को मांगने के बाबजूद नही दिया गया। 1997,98 से अब तक भी मालिक हिमाचल सरकार है जबकि कब्जा ऐले इस्लाम का था, लेकिन वहां मस्ज़िद नही थी। पुरी मस्जिद अवैध है। जिसमें अवैध गतिविधियां हो रही है। बाबजूद इसके बिजली पानी नही काटा गया क्यों? वक्फ बोर्ड के पास संजौली में अवैध मस्जिद की जमीन को छोड़कर 156 बीघा जमीन हैं। संजौली के स्थानीय निवासी इसमें पार्टी है। जिसमें आरती गुप्ता का नाम मुख्य है। वकील ने मांग उठाई  कि भले ही हमें पार्टी न बनाएं लेकिन मस्जिद तोड़ दी जाए।कमिश्नर ने पूछा कि आप पार्टी कैसे हुए ये बताएं। चार बजे के बाद कोर्ट ने स्थानीय निवासियों को पार्टी बनाने से इंकार कर दिया। कमिश्नर ने कहा की मामला अवैध निर्माण का है जिसमें पहले ही वक्फ बोर्ड पार्टी है इसलिए थर्ड पार्टी की जरूरत नही।जबकि वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि जो भी अवैध निर्माण हुआ है उस पर एमसी कोर्ट फ़ैसला लेगा। जो लोग केस में सामने आ रहें हैं वह बताएं कि वह कैसे पार्टी हैं। इस मामले में नई पार्टी की जरूरत ही नही है। मामला पहले ही एमसी और वक्फ बोर्ड के बीच चल रहा है। ऐसे में सीधे आरोप लगाना सही नही है। इससे पहले 7 सितंबर को मामले की सुनवाई हुई थी। आज हुई सुनवाई में दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमसी कोर्ट ने पहले शाम चार बजे तक मामला सुरक्षित रखा और शाम को तीन फ्लोर तोड़ने के आदेश दे दिए हैं। दो माह में मस्जिद के तीन फ्लोर तोड़ने के आदेश कमेटी को दिए और अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी। मस्जिद कमेटी ने खुद ही मस्जिद तोड़ने की मांग उठाई थी।

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