शिमला, 07 मई। आर एस एस के हिमाचल प्रांत प्रचार प्रमुख महीधर प्रसाद ने कहा है कि देवर्षि नारद जयंती के कार्यक्रम को समाज में स्थापित करने के लिए बहुत से अनुभव रहे हैं। शिमला में पत्रकारों के सम्मान के लिए देवऋषि नारद जयंती के कार्यक्रम शुरू हुए तो पत्रकारिता जगत तक में भी इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया। लेकिन एकतरफा नकारात्मक पत्रकारिता से समाज में हो रहे नुकसान से धीरे धीरे समाज के प्रति निष्ठावान पत्रकार सत्य के प्रति आग्रही बनते चले गए और विश्व संवाद परिवार का विस्तार होता चला गया।
विश्व संवाद केंद्र शिमला ने नारद जयंती के अवसर पर रविवार को पत्रकार संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महीधर प्रसाद मुख्य वक्ता और विश्व संवाद न्यास के सदस्य और एचपीयू के पूर्व उपकुलपति प्रोफेसर नरेंद्र शारदा मुख्य अतिथि सम्मिलित हुए। विशेष अतिथि के रूप में हिम सीने सोसाइटी की अध्यक्ष एवम फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य भारती कुठियाला उपस्थित रहीं।
मुख्य वक्ता महीधर प्रसाद ने कहा कि आदिकाल से नारद जैसे निस्वार्थ भाव से सूचना संप्रेषण का कार्य करने वाले भारतीय प्रतीकों की भी समाज में लगातार नकारात्मक छवि बनाई गई। उन्होंने संवाद केंद्र के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आज समाज में एकतरफा नकारात्मक पत्रकारिता का तिलिस्म टूटा है। पत्रकार समाज में विघटनकारी तत्वों के इरादों को उजागर कर रहे हैं। जोकि संवाद केंद्र के लगातार प्रयासों का प्रतिफल है। दीनदयाल उपाध्याय पीठ के अध्यक्ष डाo मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि जो पत्रकार समाज के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रहे हैं उनको सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। यदि पत्रकार को सही वेतन और पेंशन जैसी सुविधाएं मिल जाए तो पत्रकार येलो जर्नलिज्म जैसी बुराई से बच सकते हैं।
प्रोफेसर नरेंद्र शारदा ने कहा कि सामाजिक पत्रकारिता के सकारात्मक पक्ष को आगे लाने के लिए संगठित होकर कार्य करना चाहिए। विश्व संवाद केंद्र प्रमुख दलेल ठाकुर ने बताया कि समाज में पत्रकारिता के सही रूप के लिए प्रशिक्षण की बेहद आवश्यकता है। इसके लिए जल्द ही संवाद केंद्र एक कार्यशाला का आयोजन भी करने जा रहा है।
विश्व संवाद केंद्र न्यास के उपाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आज मीडिया में न्यूज पोर्टल्स और चैनलों की भरमार हो गई है। ऐसे में पत्रकारिता के सही स्वरूप को बचाने के लिए मीडिया में कुछ मापदंडों की मांग भी समाज की एक जरूरत है।