शिमला, 24 मई। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि हमें अपने गौरवमयी इतिहास को पुर्नस्थापित करने के लिए साहस के साथ आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को विश्व गुरू के रूप में स्वीकार कर रही है। यही भावना हम सबको भी स्वीकार करने की जरूरत है।
राज्यपाल बुधवार को शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में ठाकुर रामसिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने इस अवसर पर, डॉ. भाग चन्द चौहान द्वारा लिखी पुस्तक ‘‘द नॉलेज सिस्टम ऑफ भारत’’ तथा डॉ. कंवर चन्द्रदीप तथा श्री राजीव कुमार द्वारा संपादित पुस्तक ‘‘एन एनथ्रोलॉजी ऑफ डिस्कोर्सिस ऑन भारत’’ का लोकार्पण किया।
उन्होंने कहा कि आज भारत नवाचार और ज्ञान सृजन में सबसे आगे खड़ा है। इसके उच्च शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, और प्रौद्योगिकी केंद्र विविध क्षेत्रों में देश की प्रगति को आगे बढ़ा रहे हैं। देश के युवा दिमाग विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति को अपनाते हुए अपने पूर्वजों की विरासत को अपना रहे हैं, जिससे परंपरा और आधुनिकता का एक अनूठा मिश्रण बन रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि हमें अपनी धरोहर व संस्कृति पर गर्व करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिन वेदों को विदेशी गडरियों की भाषा कहते थे उन्हीं ग्रंथों को मैक्स मूलर जैसे व्यक्ति ने विदेश ले जाकर शोध किया और हमें उन्हीं के बारे में शिक्षित करते हैं। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि उन्हें वर्तमान में जीने की आवश्यकता है तभी वह आज की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान की सोच के साथ ही वह समाज और राष्ट्र के प्रति सोच पैदा कर सकते हैं।
इससे पूर्व, कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि एवं हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने कहा कि अक्रांताओं द्वारा लिखे गए ग्रंथ के आधार पर भारत का इतिहास नहीं लिखा जा सकता। इतिहास के बहुत से स्रोत हैं और जब हम उन स्रोतों को जानेंगे तभी भारत के इतिहास को समझ पाएंगे।
हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विवि के कुलपति एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. सत प्रकाश बंसल ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विष्वविद्यालय धर्मषाला द्वारा राष्ट्रीय षिक्षा नीति को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विष्वविद्यालय में यू.जी.सी नेट, हिन्दी स्ट्डीज़ को इसी सत्र से आरम्भ किया जा रहा है।