संजौली विवादित ढांचा: स्थानीय महिलाओं ने विवादित ढांचे के बाहर खोला मोर्चा,नमाजियों को नमाज पढ़ने से रोका, बाहरी लोगों की आवाजाही पर स्थानीय महिलाओं की चिंता,दूसरे राज्यों से आने वाले लोग पढ़ रहे हैं नमाज

दिल्ली जैसी घटना संजौली में ना हो, इसका डर,नमाज़ के दौरान महिलाओं का घर से बाहर निकलना होता है बन्द,
पहले भी मदरसा और धमकी के मामले उठे,
विवादीदत ढांचा गिराने में देरी पर प्रशासनिक से सवाल,

शिमला। संजौली में विवादित मस्जिद के बाहर वहां की स्थानीय महिलाओं ने आज मोर्चा खोला और किसी भी व्यक्ति को मस्जिद के अंदर जाकर नमाज पढ़ने से रोक। जो भी नमाजी मस्जिद जाकर नमाज पढ़ना चाहते थे उन्हें स्थानीय महिलाओं ने यह बोलकर अंदर नहीं जाने दिया कि यह विवादित ढांचा है और इसे कोर्ट की ओर से गिरने के आदेश आए हैं पूर्ण राम इसीलिए अब इस विवादित ढांचे में किसी को भी जाने की अनुमति नहीं होगी। इसी बीच वहां पर स्थानीय महिलाओं और नमाज पढ़ने आए लोगों के बीच में तीखी बहस बाजी भी देखने को मिली। सुरक्षा व्यवस्था के लिए वहां पर पुलिस प्रशासन के जवान भी मौजूद रहे पूर्ण ग्राम विवाद बढ़ता देख पुलिस प्रशासन ने स्थानीय महिलाओं और नमाज पढ़ने आए लोगों को शांत किया। स्थानीय महिलाएं इसी बात पर आदि रही कि वहां पर किसी को भी नमाज पढ़ने नहीं दिया जाएगा और उन्होंने प्रशासन से भी यही मांग की है कि इसमें बाधित ढांचे को जल्दी से जल्दी तोड़ा जाए।

शिमला के संजौली क्षेत्र में विवादित मस्जिद ढांचे को लेकर स्थानीय महिलाओं की चिंताएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में दिल्ली में हुए धमाके के बाद महिलाओं ने सुरक्षा खतरे को लेकर अपनी आशंकाएँ और खुलकर सामने रखी हैं। महिलाओं का कहना है कि स्थानीय मौलवी को भी इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को रोक दिया जाए, बल्कि वह स्वयं भी बाहरी लोगों की गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं। महिलाओं ने बताया कि मस्जिद के स्थानीय मौलवी ने भी बताया है कि बाहरी राज्यों से आने वाले कुछ लोग यहां का माहौल खराब कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि महिलाओं के अनुसार मस्जिद के अंदर जब बाहरी लोग बैठते हैं तो स्थानीय मौलवी को भी बैठने नहीं दिया जाता। इससे स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि मस्जिद के अंदर बैठकर आखिर कौन-सा षड्यंत्र रचा जा रहा है, इसका पता किसी को नहीं है। महिलाओं ने पहले बताया था कि इस ढांचे में कुछ समय पहले मदरसा भी चल रहा था, जहां पढ़ने वाले बच्चों ने उनके बच्चों को दुश्मन तक कहा था। साथ ही, मोहम्मद सलीम द्वारा सिलेंडर ब्लास्ट की धमकी देने का मामला भी सामने आया था, जिसकी शिकायत पर बाद में सलीम ने थाने में महिलाओं से माफी मांगी थी। महिलाओं का कहना है कि जब बड़ी संख्या में लोग मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आते थे तो स्थानीय महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता था। उन्हें नमाज़ खत्म होने तक घरों में पर्दे डालकर रहना पड़ता था। कोर्ट ने इस ढांचे को विवादित घोषित करते हुए 60 दिनों के भीतर गिराने के आदेश दिए थे। लेकिन महिलाओं का आरोप है कि अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। इससे प्रशासन की गंभीरता और मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं। महिलाओं ने स्पष्ट किया कि अब किसी बाहरी व्यक्ति को बिना वेरिफ़िकेशन अंदर आने नहीं दिया जाएगा। नमाज़ पढ़ने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी, क्योंकि ढांचा विवादित घोषित हो चुका है। सबसे जरूरी है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस विवादित ढांचे को गिराए।

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