शिमला, 20 फरवरी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य सेवा के लिए रखे गए कर्मचारियों को फिर से नौकरी में रखने के लिए सरकार उनके अनुभव को वरीयता देगी। उन्होंने कहा कि सरकारी विभाग में जितने भी कर्मचारियों की नियुक्त की जाती है, वह नियमों के तहत होती है, लेकिन कोरोनाकाल में जो नियुक्तियां हुई थी, उसके लिए कोई नियम नहीं बने थे। बावजूद इसके सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें एक्सटेंशन दी। उन्होंने कहा कि इनका मानदेय भी जारी किया गया है और इनकी 3.50 करोड़ रुपए की देनदारी लंबित है और उसे जल्द जारी किया जाएगा। वे विधायक राकेश जम्वाल द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
जम्वाल ने कहा कि महामारी के दौरान नियम-कानून बनाने का समय नहीं था। इसलिए ये तैनातियां की गई। उन्होंने इनकी सेवाएं जारी रखने की मांग की। वहीं, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि यह सदन की गरिमा का सवाल है कि सरकार आश्वासन देती है और होता कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में रखे गए कर्मचारियों ने जान जोखिम में डालकर दूसरों का जीवन बचाया। वह आपातकाल की स्थिति थी और इन लोगों ने अंतिम संस्कार का कार्य भी किया। इसलिए इनकी सेवाएं किसी अन्य स्थान पर ली जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां तक सुंदरनगर के ऑक्सीजन प्लांट बंद होने का मामला है, उसे वे देखेंगे और कार्रवाई करेंगे। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांट से जो कर्मचारी हटाए गए थे, उन्हें फिर से रखने के आदेश दे दिए गए हैं।