शिमला, 12 मार्च। हिमाचल प्रदेश की शिमला पुलिस द्वारा प्रदेश सरकार गिराने का षड्यंत्र रचने और लेन-देन के मामले में दर्ज एफआईआर में नामजद कांग्रेस के बागी व गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता व सेवानिवृत्त आईएएस राकेश शर्मा और हमीरपुर से निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा को हिमाचल हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने आरोपित बनाए गए इन दोनों को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी है। एफआईआर में नामजद होने के बाद पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए इन्हें हिरासत में लिया जाना था। इससे बचने के लिए दोनों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया था। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन शर्मा ने सुनवाई के दौरान मंगलवार को इन्हें सशर्त जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने दोनों को जांच में सहयोग देने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि विधायक आशीष शर्मा और सेवानिवृत्त आईएएस राकेश शर्मा के विरूद्ध शिमला के बालूगंज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई है। एफआईआर में इनके अलावा अन्य अज्ञात लोगों को भी नामजद किया गया है। आरोपितों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं। कांग्रेस के दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्व गौड़ की शिकायत पर पुलिस ने यह एक्शन लिया है।
शिकायत के मुताबिक बागी विधायक के पिता और निर्दलीय विधायक पर राज्यसभा चुनाव में वोटों की खरीद-फरोख्त करने, रिश्वत व पैसों के लेन-देन का आरोप लगा है। इन पर राज्यभा चुनाव को गलत तरीके से प्रभावित करने का भी आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपितों ने सरकार गिराने के लिए षड्यंत्र रचा। गगरेट के निष्कासित विधायक चैतन्य शर्मा के पिता राकेश शर्मा उतराखण्ड में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
दरअसल एफआईआर में 171 ई और 171सी, 120 बी और भ्र्ष्टाचार निवारण अधिनियम के सेक्शन 7 व 8 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। माना जा रहा है कि जांच आगे बढ़ने पर एफआईआर में क्रॉस वोटिंग करने वाले अन्य विधायकों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है।
हिमाचल में 27 फरवरी को हुआ था राज्यसभा चुनाव, कांग्रेस के छह विधायकों और तीन निर्दलीयों ने की थी क्रॉस वोटिंग
बता दें कि हिमाचल में राज्यसभा चुनाव 27 फरवरी को हुआ था। उस दौरान उक्त नौ विधायकों की क्रॉस वोटिंग की वजह से यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अभिषेक मनु सिंघवी को पराजित किया। दरअसल क्रास वोटिंग के बाद भी दोनों दलों के उम्मीदवारों को 34-34 वोट मिले थे, जिसके बाद पर्ची के जरिए विजेता उम्मीदवार का फैसला हुआ था।