शिमला। सचिव, उद्यान सी.पॉलरासु ने आज यहां मण्डी मध्यस्थता योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मण्डी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत प्रापण किए जाने वाले फलों की गुणवत्ता को बनाए रखने और वास्तविक लाभार्थियों को योजना का अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए।
उन्होंने कहा कि फलों का प्रापण बागवानों के पास उपलब्ध भूमि तथा फलदार पौधों के अनुपात के अनुसार किया जाएगा जिसके लिए बागवानों द्वारा उद्यान कॉर्ड लाना अनिवार्य होगा जिसका मिलान राजस्व अभिलेख (जमाबंदी) से सम्बंधित प्रभारी फल एकत्रीकरण केंद्र द्वारा किया जाएगा। बागवानों से सेब फल सम्बंधित इलाके के फल एकत्रीकरण केंद्र में ही लिए जाएंगे।
उन्होंने कहा सड़े-गले, पक्षियों द्वारा खाए हुए व दागी फल, स्कैबग्रस्त, इथरल स्प्रे किए हुए फल तथा 51 मिलीमीटर से कम डायामीटर वाले फल नहीं लिए जाएंगे और ऐसे फल एकत्रीकरण केंद्र से ही वापिस कर दिए जाएंगे। इस प्रकार के अवांछित फल किसानों द्वारा वापिस न लेने तथा केंद्र पर छोड़ कर जाने की स्थिति में उसे नष्ट करने के लिए केंद्र प्रभारी सक्षम होगा और बागवानों को इसका कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि फल एकत्रीकरण केंद्र पर सम्बंधित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा बागवानी विकास अधिकारी एवं बागवानी प्रसार अधिकारियों की आवश्यकतानुसार निरीक्षण के लिए तैनाती की जाएगी।
बैठक में उद्यान विभाग, एचपीएमसी व हिमफैड के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।