हिमाचल में वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए नई नीति लाएगी सरकार : सुक्खू

शिमला, 14 मार्च। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एकीकृत कार्ययोजना पर काम कर रही है और जल्द ही वनों को आग, बाढ़ तथा भूस्खलन से बचाने के लिए नई नीति लाएगी। मुख्यमंत्री मंगलवार को विधानसभा में नियम 130 के तहत विधायक इंद्रदत्त लखनपाल द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन और इससे जुड़े मामलों के आकस्मिक उपचार के लिए सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विभिन्न माध्यमों से जागरूक भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चीड़ के जंगलों में चीड़ की पत्तियां आग का मुख्य कारण हैं। इन पत्तियों को एकत्रित करने और वन भूमि से हटाने के लिए सरकार ने एक नई नीति बनाई है। इसके तहत पाइन नीडल आधारित उद्योग लगाने के लिए पूंजी निवेश पर 50 फीसदी सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इस योजना के तहत ईंधन के ब्रिकेट्स बनाने की पांच इकाइयां अब तक स्थापित की जा चुकी हैं।

इससे पूर्व, कांग्रेस सदस्य इंद्रदत्त लखनपाल ने चर्चा शुरू करते हुए कहा कि वनों की रखवाली के लिए रखे गए परंपरागत राखा को सरकार ने निकाल दिया है। ऐसे में वनों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए स्टाफ की भारी कमी है और लोगों को आग खुद बुझानी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि सारी परेशानियां स्टाफ की कमी की वजह से है। इसलिए वन विभाग में तुरंत स्टाफ की कमी को दूर किया जाए।

विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए यहां केवल केवल माइक्रो प्रोजेक्ट लगने चाहिए। विधायक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि वन विभाग में उच्च स्तर पर व्यापक सुधार की जरूरत है, ताकि निचले स्तर पर स्टाफ की कमी को दूर किया जा सके। विधायक हरीश जनार्था ने जंगलों में आग लगने की घटनाओं में नुकसान कम करने के लिए फायर लाइन बनाने और अधिक से अधिक पौधरोपण पर जोर दिया। विधायक अजय सोलंकी, विनोद सुल्तानपुरी, चेतन्य शर्मा, नीरज नैयर ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

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