शिमला। प्रदेश में पहली बार महीने की तीन तारिख तक कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन न मिलने का मुद्दा जोर पकड़ता जा रहा है। आर्थिक हालातों को लेकर विपक्ष के हमले कर्मचारियों की सैलरी में हो रहे विलम्ब को लेकर सीएम ने कहा कि वित्तीय अनुशासन के दौरान इस तरह की दिक्कतें पेश आती हैं। कहा कि वे सदन में भी इस विषय पर अपना वक्तव्य देंगे। भाजपा के वित्तीय कुप्रबंधन के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि इस पर सदन में विपक्ष चर्चा करें कि वित्तीय कुप्रबंधन किसने किया
सीएम ने कहा कि पिछली सरकार में उन लोगों का बिजली पानी का बिल माफ कर दिया जो करोड़ो रुपए टैक्स भरते हैं। डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश के खजाने को लुटा हैं। बीजेपी ने बिना सोचे समझे मुफ्त में उन लोगों को लाभ दिए जिन्हे जरूरत नहीं हैं। उन्होंने फिर दोहराया कि प्रदेश में अब आर्थिक संकट नहीं हैं। सरकार आर्थिक संकट से उभरकर वित्तीय प्रबंधन कर आत्मनिर्भर हिमाचल की ओर आगे बढ़ रही हैं। सीएम ने कहा कि राज्य की आय में वृद्धि के लिए कदम उठाए हैं। गरीब लोगों के अलावा बिजली, पानी के बिल लिए जाएंगे, बसों के किराए में रिफार्म किए जा रहे हैं। ठेको की नीलामी से इस वर्ष डेढ़ सौ करोड़ अधिक अर्जित किया है। सीएम ने कहा की सरकार डीजल में और वृद्धि करने जा रही है।
वहीं सदन में विपक्ष की भूमिका को लेकर सीएम ने कहा कि सदन में सत्ता पक्ष को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। विपक्ष का काम सवाल करना और सरकार का जवाब देना होता हैं। सदन में विपक्ष के सनसनीखेज बातो से मुद्दा भटक जाता है और विपक्ष वॉकआउट करके बाहर चला जाता हैं। स्पीकर ने आज प्रश्न काल के से पहले उन्हें आज बोलने का मौका दिया हैं।
हिमाचल में अब वितीय संकट को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु कह रहे है कि हिमाचल प्रदेश में हम वितीय संकट से उभर रहे पिछले साल हमने 2200 करोड़ का राजस्व कमाया हैं और लगातार वितीय संकट में सुधार हो रहे है थोड़ा सा फिजिकल डीसीप्लेन, और आर्थिक सुधार पर जोर दिया गया है। मुख्यमंत्री का कहना था कि कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन पर 2000 हजार करोड़ खर्च होता है हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही हैं थोड़ा और अनुशासन की जरूरत है।