शिमला, 16 मार्च। हिमाचल प्रदेश में अब एफसीए और एफआरए के कारण विकास परियोजनाओं में देर नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में एक हेक्टेयर तक की विकास परियोजनाओं पर एफसीए और एफआरए की मंजूरी की शर्त हटाने के बाद सुक्खू सरकार एक्शन मोड में है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को विधानसभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद जिला स्तर पर डीसी और डीएफओ की अध्यक्षता में कमेटियों की गठन किया है। ये कमेटियां महीने में हर 15 दिन बाद बैठक करेंगी और सभी एफसीए और एफआरके लंबित मामलों को निपटाएंगी।
मुख्यमंत्री विधानसभा में निजी सदस्य कार्य दिवस के तहत घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी द्वारा विभिन्न विभागों द्वारा निर्मित भवन और सड़कें, जो बिना एफआरए तथा एफसीए की अनुमति के बन चुकी है, को एकमुश्त स्वीकृति प्रदान करने के लिए नीति बनाने के लिए लाए गए संकल्प पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। सदन में हुई चर्चा और मुख्यमंत्री के जवाब के बाद राजेश धर्माणी ने अपना यह संकल्प वापस ले लिया।
मुख्यमंत्री ने संकल्प पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि एफसीए और एफआरए की मंजूरी के लिए अगर समय पर केस अपलोड होंगे तो उनको मंजूरियां भी समय पर मिलेंगी। उन्होंने कहा कि पहले समय पर केस अपलोड नहीं हो रहे थे जिससे इनकी मंजूरियां भी लटक रही थीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के अधीन काम कर रही एक निजी ऐजेंसी को भी हायर किया है। सभी विकासात्मक परियोजनाओं के लिए एफसीए और एफआरए की पूरी मंजूरी दिलाने की जिम्मेवारी इस एजेंसी की होगी। इसके अलावा एफआरए केसों को निपटाने के लिए सरकार ने अलग से एक कंजर्वेटर तैनात किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का जो आफिस शिमला में है, उसमें अभी दूसरे राज्यों के एफसीए और एफआरए के मामले भी मंजूरियों के लिए आ रहे हैं। हिमाचल सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें इस आफिस में केवल हिमाचल से जुड़े मामलों को निपटाने का आग्रह किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1980 से पहले बने भवनों, सड़कों आदि पर वन संरक्षण कानून लागू नहीं होता। उन्होंने कहा कि हिमाचल में 2183 सड़कें वन भूमि पर बनाई गई हैं, जिनके लिए वन मंजूरियां नहीं ली गईं। इन सभी की अलग से मंजूरियां लेनी होंगी। इसी तरह अन्य विभागों के तहत बनी सड़कों को भी एफसीए के तहत मंजूरी लेनी पड़ेगी।
भूमिहीनों को घरों के लिए जमीन देने की सरकार की नीति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के पुल से जमीन दी जाएगी।
इससे पहले, संकल्प प्रस्तुत करते हुए राजेश धर्माणी ने कहा कि हिमाचल में बड़ी संख्या में सड़कें, स्कूल आदि हैं जो बिना वन मंजूरियों के बनाई गई हैं। ये भवन या सड़कें 1980 से पहले की भी बनी हुई है। उन्होंने इन भवनों और सड़कों को एफसीए और एफआरए की अनुमति दिलाने के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की।