शिमला, 21 मार्च । हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने मंगलवार को सत्ता में 100 दिन पूरे कर दिए। इस मौके पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग हमीरपुर को भंग किए जाने के कारण रद्द हुई भर्ती प्रक्रिया को फिर शुरू करने की घोषणा की। यह प्रक्रिया अगले 10 दिनों में शुरू होगी। अब ये सभी भर्तियां हिमाचल प्रदेश राज्य लोकसेवा आयोग के माध्यम से होगी। इस प्रक्रिया के तहत प्रारंभ में दो हजार पदों को भरा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भंग करने के कारण रद्द हुई भर्तियों के लिए आवेदन कर चुके उम्मीदवारों से पुनः परीक्षा के लिए कोई फीस नहीं ली जाएगी और ऐसे उम्मीदवारों पर उम्र संबंधी मापदंड भी लागू नहीं होंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सिर्फ उन्ही पदों के लिए नए सिरे से परीक्षाएं होंगी, जिनके पेपर लीक हुए हैं या जिन्हें लेकर कोई विवाद है। शेष सभी परीक्षाओं के परिणाम जल्द घोषित कर लिए जाएंगे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पहली अप्रैल से पुरानी पेंशन योजना बहाल हो जाएगी। इसी के साथ प्रदेश सरकार की ओर से एनपीएस फंड में दी जाने वाली धनराशि को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल के कर्मचारियों और अधिकारियों का एनपीएस फंड में करीब 9 हजार करोड़ रुपए जमा है और प्रदेश सरकार ने इस राशि को वापस देने का केंद्र सरकार से आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने फिजूलखर्ची को कम करने के उपायों के तहत वन विभाग में निर्माण विंग को खत्म कर दिया है और इसमें तैनात कर्मचारियों को लोकनिर्माण सहित अन्य विभागों में भेज दिया गया है। उन्होंने एफसीए और एफआरए के केसों में सुप्रीमकोर्ट से मिली राहत को प्रदेश सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया और कहा कि इससे राज्य में विकास कार्यों में अभूतपूर्व तेजी आएगी।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन का दावा करते हुए कहा कि कुछ विभागों में व्यवस्था कर दिया गया है और शेष विभागों में भी जल्द ही व्यवस्था बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था परिवर्तन के अगले एक वर्ष में परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पारदर्शिता से कार्य करेगी क्योंकि हम सत्ता सुख के लिए नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए हैं और जनता के हित में फैसले लेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 100 दिन के इस कार्यकाल में प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के सहयोग से राज्य की नई दिशा तय की है। यह दिशा आने वाले परिवर्तन की दिशा है।