सरकार व्यवस्था परिवर्तन की जगह कर रही व्यवस्थाओं का पतन: जयराम ठाकुर

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा दो या इससे अधिक समय से खाली चल रहे पदों को खत्म करने के निर्णय के ख़िलाफ़ शिमला में नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने तीखा हमला किया है और कहा है कि सुक्खू सरकार व्यवस्था परिवर्तन के बजाय व्यवस्थाओं का पतन कर रही है।5 लाख नौकरियां देने की कांग्रेस सरकार ने गारंटी दी थी लेकिन सुक्खू सरकार ने इसके विपरीत डेढ़ लाख से अधिक पदों को ही खत्म कर दिया है जो बेरोजगारों के साथ मजाक है। सरकार कैबिनेट रैंक की नियुक्तियों और सीपीएस के पदों को समाप्त करती तो अच्छा होता लेकिन सुख की सरकार लोगों को प्रताड़ित करने में लगी है।जयराम ठाकुर ने कहा कि 23 अक्तूबर को सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना में दो साल से खाली पड़े पदों को समाप्त करने का जिक्र किया गया है लेकिन आज मुख्यमंत्री एक और अधिसूचना दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि भाजपा और मीडिया बिना पढ़े ग़लत तथ्य पेश कर रहे हैं जबकि सरकार अपनी किरकरी होती देख बैक डेट से दूसरी अधिसूचना निकाल कर लीपापोती में लगी है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री खुद को ज्ञान का भंडार और दूसरों को मूर्ख समझते हैं। दूसरों को सलाह देने के बजाय खुद पढ़ कर आएं 2012 में धूमल सरकार के दौरान ऐसी कोई भी अधिसूचना नहीं हुई जिसमें पदों को खत्म करने का हुआ हो। खुद गलती करके दूसरों पर उसका ठीकरा फोड़ना दुर्भाग्यपूर्ण है।इस अधिसूचना के माध्यम से युवाओं की आशाओं पर पानी फेरने का काम किया गया है।बिना सोचे समझे फैसले लेने के कारण हिमाचल आज हास्यास्पद स्थिति में है।सीपीएस के पदों को बचाने के लिए सरकार 6 करोड़ खर्च चुकी है जिन्हें खत्म किया जाना चाहिए था न कि नौकरियों को खत्म करना था।जयराम ठाकुर ने कहा कि सत्ता में आने के बाद सीएम सुक्खू हर चीज़ बन्द करके नाम कमाने में लगे हैं क्योंकि कुछ अच्छा तो हों नहीं रहा इसलिए बन्द करने का मुख्यमंत्री को शौक लग गया है।कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले पांच साल में पांच लाख नौकरियां और पहली कैबिनेट में एक लाख नौकरियां देने का वायदा किया था लेकिन अब दो साल में नौकरियां देने के मामले में कांग्रेस सरकार अलग अलग आंकड़े पेश कर रही है और आज मुख्यमंत्री ने माना है कि दो साल में केवल 19 हजार नौकरियां दी गई हैं वो भी पूर्व भाजपा सरकार के समय भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी। वर्तमान में दो साल से भर्ती करने वाला आयोग ही सरकार ने बन्द किया है और अब नौकरियों को खत्म कर बेरोजगार की आस पर पानी फेर दिया है।

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