संजौली मस्जिद विवाद मामले में वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में पेश किया शपथ पत्र



शिमला। संजौली मस्जिद विवाद मामले में वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया है। शुक्रवार को जिला व सत्र न्यायालय में सुनवाई हुई। हिमाचल वक्फ बोर्ड की ओर से दिए गए हलफनामे में वक्फ बोर्ड ने अदालत को बताया कि वक्फ बोर्ड ने मोहम्मद लतीफ को अवैध निर्माण हटाने के संबंध में एनओसी दी थी। वक्फ़ बोर्ड की ओर से बताया गया है कि मोहम्मद लतीफ ही संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। वक्फ बोर्ड के सदस्य कुतुबद्दीन अहमद ने बताया, “वक्फ बोर्ड के कागजातों में साल 2006 से मोहम्मद लतीफ अभी तक संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हैं। इसी के बीच वहां कोई दूसरी कमेटी बनी, जिसके द्वारा मस्जिद में निर्माण किया गया था, लेकिन वक्फ बोर्ड के पास मोहम्मद लतीफ का ही रिकॉर्ड मौजूद है। मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन कमेटी के वकील विश्व भूषण ने बताया कि 30 नवंबर को अगली सुनवाई तय हुई है। अगली सुनवाई में याचिकाओं पर अदालत का फैसला आ सकता है। वकील विश्व भूषण ने कहा, “वक्फ बोर्ड द्वारा कोर्ट में 2006 के कागजात दिखाए गए, जबकि मामला 2010 का है. जबकि वक्फ एक्ट के तहत बोर्ड के मेंबर 5 साल के लिए नियुक्त होते हैं और कमेटी के मेंबर का कार्यकाल एक साल का होता है। अदालत में वक्फ बोर्ड द्वारा पेश डॉक्यूमेंट में मोहम्मद लतीफ के ही साइन हैं। जो कि सेल्फ प्रिपेयर्ड डॉक्यूमेंट लग रहे हैं.” वकील विश्व भूषण ने कहा कि वक्फ की प्रॉपर्टी के साथ जो छेड़खानी हो रही है, उसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है. उन्होंने कहा कि मोहम्मद लतीफ ऐसे किसी आवेदन को दाखिल करने के लिए ऑथराइज्ड नहीं है। संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने कहा, “वक्फ बोर्ड ने अपने शपथ पत्र में जवाब दिया कि 2006 से मैं मस्जिद कमेटी का अध्यक्ष हूं। इसलिए मुझे नोटिस जारी किया गया था। अवैध निर्माण को लेकर एक मंजिल हटा दी गई है, लेकिन मजदूरों की कमी के चलते काम नहीं हो पाया है। जिसके लिए नगर निगम से और समय अवधि की मांग की जाएगी। हमारी ओर से हिमाचल में शांति के लिए ये पहल की गई थी। जिन लोगों ने भी यहां पर गलत तरीके से निर्माण किया है, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए।

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