मानसिक बीमारी और बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्तियों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने हेतू दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू

मानसिक रूप से बीमार और अक्षम व्यक्ति सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के हकदार – सचिव अनिता शर्मा
ऊना। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) के निर्देशानुसार शुक्रवार को ऊना के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सेमिनार हॉल में मानसिक बीमारी और बौद्धिक अक्षमताओं वाले व्यक्तियों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओपी शर्मा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनीता शर्मा, ऊना पैनल अधिवक्ता एवं पीएलवी शामिल रहे।
इस दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव अनीता शर्मा ने कहा कि कानूनी सहायता सेवाओं का मुख्य उद्देश्य सभी के लिए न्याय की पहुंच होना है। विकलांग व्यक्तियों विशेष रूप से मानसिक बीमारी और मानसिक मंदता जैसी अन्य बाधाओं से पीड़ित लोगों को आमतौर पर समाज द्वारा दरकिनार और उपेक्षित किया जाता है। इसलिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 2015 ने मानसिक रूप से बीमार और विकलांग लोगों को प्रभावी कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार की थी। उन्होंने कहा कि मानसिक रूप से बीमार और अक्षम व्यक्ति सभी मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के हकदार हैं। इन व्यक्तियों के मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के पूर्ण और समान आनंद को बढ़ावा देना, सुरक्षा करना और सुनिश्चित करना संस्था के साथ-साथ कानूनी सेवा प्राधिकरण की प्रमुख चिंता होगी। इसके अंतर्गत एक कानूनी सेवा यूनिट का गठन किया गया है, जिसमें डालसा सचिव, सेवानिवृत जिला एवं सत्र न्यायाधीश, पैनल अधिवक्ता एवं पीएलवी को शामिल हैं। इसके अलावा डीएलएसए की सचिव ने बताया कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 दिसंबर को भी प्रातः 9ः30 बजे से सायं 5ः00 बजे तक आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर क्षेत्रीय अस्पताल ऊना से डॉ नवदीप जोशी, अधिवक्ता जिला कोर्ट ऊना सुरेश ऐरी भी शामिल रहे।

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