कोलडैम जलाशय में स्टिल वाटर गतिविधियां शुरू होने से तत्तापानी बना मिनी गोवा

रंग लाने लगे पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रदेश सरकार के प्रयास, साहसिक व रोमांचकारी पर्यटन गंतव्य के रूप में उभरा मंडी जिला का तत्तापानी

करसोग। हिमाचल को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने के प्रदेश सरकार के प्रयास रंग लाने लगे हैं। यहां की झीलों व जलाशयों में स्टिल वाटर गतिविधियां शुरू होने से साहसिक व रोमांचकारी पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। राज्य सरकार की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है कि मंडी जिला के तत्तापानी स्थित झील में विभिन्न मनोरंजक जलीय गतिविधियों के कारण तत्तापानी हिमाचल का मिनी गोवा बन कर उभरा है।

राजधानी शिमला से मात्र 55 किमी की दूरी पर, करसोग उपमंडल और ऋषि जम्दाग्नि की तपोभूमि तत्तापानी में सतलुज नदी पर बनी झील में आयोजित होने वाली विभिन्न मनोरंजक जलीय गतिविधियां, झील का प्राकृतिक सौंदर्य, यहां मौजूद गर्म पानी के चश्में, झील के आस-पास प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब पहाड़, यहां आने वाले पर्यटकों को एक अलग ही अहसास करवा रहे हैं।

जेट स्की, स्पीड वोट आदि यहां उपलब्ध

राज्य सरकार की पर्यटन नीति के अन्तर्गत तत्तापानी झील में चलने वाली जेट स्की, स्पीड वोट, बंपर वोट, बनाना राइड, ई-फॉयल, वाटर स्की, ए.टी.वी. बाइक आदि पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। वर्तमान में यहां 8 जेट स्की, 10 स्पीड वोट, एक बंपर वोट, एक बनाना राइड, 2 जेटोवेटर, 4 ई-फॉयल, 2 वाटर स्की और 2 एटीवी बाइक संचालित की जा रही हैं। प्रशिक्षित गाइड व चालकों की देखरेख में इनका संचालन किया जा रहा है।

मनोरंजन के साथ रोजगार भी

जलक्रीड़ा गतिविधियां शुरू होने से यहां लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिला है। यहां पर लगभग 200 से 250 लोग रोजगार से जुड़े हैं, जिनमें 35 को प्रत्यक्ष रोजगार झील में होने वाली जलक्रीड़ा गतिविधियों से मिला है और 200 से अधिक लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त हुआ है। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से व्यापारियों को भी लाभ मिल रहा है।

देश के प्रथम राष्ट्रपति भी आ चुके हैं तत्तापानी

तत्तापानी एक धार्मिक स्थल भी है। मान्यता है कि यहां महर्षि जम्दाग्नि ने वर्षों तक तपस्या की थी और यहां मौजूद गंधकयुक्त गर्म पानी प्राचीन काल से ही उपलब्ध है। तत्तापानी में गर्म जल स्त्रोत या कुड़ का उद्घाटन प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 22 सितम्बर, 1952 में किया था। वर्ष 1938 में नोबेल पुरस्कार विजेता कवि, साहित्यकार व दार्शनिक रविन्द्र नाथ टैगोर भी तत्तापानी का भ्रमण कर चुके हैं।

देशभर से पर्यटक पहुंच रहे तत्तापानी

झील में आयोजित होने वाली जलक्रीड़ा गतिविधियों का आनंद उठाने के लिए देशभर से पर्यटक तत्तापानी पंहुच रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के पर्यटक शामिल हैं। पहाड़ों की रानी शिमला की सैर पर आने वाले पर्यटक अब तत्तापानी का भी रूख कर रहे हैं। पूर्व में वे केवल कुफरी, नालदेहरा, मशोबरा, नारकंडा आदि तक ही सीमित रहते थे। तत्तापानी जलाशय में वाटर एक्टिविटी शुरू होने से अब वे एक दिन का अतिरिक्त स्टे यहां करने लगे हैं। जिसका सीधा लाभ शिमला व आसपास के होटलियर्स को भी मिल रहा है।

पर्यटन सीजन में प्रतिदिन पहुंच रहे 500 पर्यटक

स्थानीय कारोबारी एवं तत्तापानी वाटर स्पोर्ट्स एसोशिएसन के सचिव प्रेम रैना ने बताया कि झील में स्टिल वाटर एक्टिविटीज शुरू होने से क्षेत्र साहसिक व रोमांचक पर्यटन गंतव्य के रूप में उभरा है और इस स्थान को प्रदेश का मिनी गोवा कहा जाने लगा है। पर्यटन सीजन में लगभग 100 से अधिक गाड़ियां और प्रतिदिन 400 से 500 पर्यटक तत्तापानी पंहुच रहे हैं। आवाजाही बढ़ने से तत्तापानी सहित आसपास स्थित होटल व्यवसाय को लाभ मिल रहा है। राज्य सरकार को भी अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा है। बकौल प्रेम रैना पिछले एक वर्ष में लगभग 50 से 60 हजार पर्यटक तत्तापानी पहुंच चुके हैं।

2015 में बनी थी झील

सतलुज नदी पर कोलडैम बनने से वर्ष 2015 में तत्तापानी में जलाशय बना था। झील में स्टिल वाटर एक्टिविटी शुरू करने के लिए राज्य सरकार द्वारा नियम बनाये गए। उसके उपरांत तत्तापानी ट्रैवल्स नाम से जलक्रीड़ा से संबंधित गतिविधियां शुरू करने के लिए हिमाचल में पहली एजेंसी का पंजीकरण हुआ। यहां विभिन्न गतिविधियां नेशनल स्किल ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट वाटर स्पोर्ट्स गोवा से प्रशिक्षित पायलटों द्वारा आयोजित की जाती हैं।

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