भाजपा जिला शिमला की बैठक में डॉ. सिकंदर कुमार ने प्रस्तुत किया मोदी सरकार के 11 वर्षों का ऊर्जा-केंद्रित विकास मॉडल

शिमला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जिला शिमला की महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन दीप कमल, चक्कर में किया गया। इस बैठक में भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने विशेष रूप से शिरकत की। बैठक का मुख्य विषय “केंद्र सरकार के 11 वर्ष – विकास और ऊर्जा के रास्ते पर भारत” रहा।
डॉ. सिकंदर कुमार ने अपने संबोधन में केंद्र सरकार की उपलब्धियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 2014 से अब तक अभूतपूर्व प्रगति की है। हाल ही में भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का गौरव प्राप्त किया है। भारत की जीडीपी अब बढ़कर 4.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो चुकी है।
डॉ. कुमार ने बताया कि यह विकास एक दीर्घकालिक रणनीति और आत्मनिर्भरता, सुधारों और ऊर्जा के क्षेत्र में हुए बुनियादी बदलावों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि भारत अब न केवल दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति के रूप में भी स्थापित हो चुका है।
ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन
डॉ. सिकंदर कुमार ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में मोदी सरकार के नेतृत्व में संरचनात्मक बदलाव आए हैं। भारत अब विश्व का:

तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता,

चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर,

और चौथा सबसे बड़ा एलएनजी आयातक बन चुका है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2047 तक देश में ऊर्जा की मांग ढाई गुना बढ़ने की संभावना है और वैश्विक ऊर्जा मांग में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक पहुँचने की उम्मीद है। उन्होंने इस अवसर पर “ऊर्जा सुरक्षा ही विकास सुरक्षा है” का मंत्र भी दोहराया।
डॉ. कुमार ने बताया कि मोदी सरकार की ऊर्जा रणनीति एक चार-आयामी दृष्टिकोण पर आधारित है जिसमें शामिल हैं:

स्रोतों और आपूर्तिकर्ताओं का विविधीकरण,

घरेलू उत्पादन का विस्तार,

नवीकरणीय ऊर्जा की ओर संक्रमण,

ऊर्जा की सामर्थ्य और स्थिरता।

तेल और गैस क्षेत्र में भी बड़ा विस्तार
उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र में भारत ने 2021 में 8 प्रतिशत अन्वेषण क्षेत्र से बढ़कर 2025 में 16 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तार किया है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अन्वेषण किया जाए, जिससे 42 बिलियन टन तेल और समतुल्य गैस की संभावनाएं खोजी जा सकें।
उन्होंने बताया कि यह बदलाव ‘नो-गो’ क्षेत्रों में 99% की कमी, सुव्यवस्थित लाइसेंसिंग, और प्रोत्साहन आधारित मूल्य निर्धारण जैसे ऐतिहासिक सुधारों के चलते संभव हुआ है।

 

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