शिमला। भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने उपभोक्ता शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और संस्थागत दक्षता को बढ़ावा देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए 13 जून 2025 को चेन्नई में “दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपभोक्ता संरक्षण” पर एक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव, निधि खरे ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल युग में अनुकूल कानूनी और डिजिटल तंत्र की आवश्यकता है। उन्होंने राइट टू रिपेयर पोर्टल, ई-जागृति और राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को मजबूत बनाने जैसी पहलों के महत्व को रेखांकित किया। ये मुकदमेबाजी से पहले उपभोक्ता शिकायतों के निवारण का त्वरित, परेशानी मुक्त और सस्ता तरीका है। उन्होंने डार्क पैटर्न, फर्जी समीक्षा और भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए सीसीपीए के नियामक उपायों का भी उल्लेख किया और दक्षिणी राज्यों के अनुकरणीय प्रदर्शन की प्रशंसा की, विशेषकर मामले निपटान दरों में। उन्होंने निरंतर नवाचार, सहयोग और विश्व स्तरीय शिकायत निवारण के लिए समावेशी पहुँच का आह्वान किया, विशेषकर मध्यस्थता और आभासी सुनवाई के माध्यम से।
उन्होंने आगे बताया कि 2025 में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर 5.41 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से 23% दक्षिणी राज्यों से थीं, जो मजबूत क्षेत्रीय भागीदारी को दर्शाता है। राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज 28.54 लाख मामलों में से केवल 5.62 लाख मामले लंबित हैं जिनमें दक्षिणी राज्यों का हिस्सा केवल 13.34% है। उन्होंने दक्षिणी क्षेत्र के प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि कर्नाटक और केरल आयोगों ने दर्ज मामलों की तुलना में अधिक मामलों का निपटारा किया और कई जिला आयोगों ने लगातार तीन वर्षों तक 100% से अधिक मामले निपटाए। उन्होंने यह भी बताया कि वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से 11,900 से अधिक मामलों की सुनवाई की गई। उन्होंने एआई-संचालित एकीकृत प्लेटफॉर्म ई-जागृति का परिचय देते हुए कहा कि इसमें ई-दाखिल और कॉन्फोनेट जैसी प्रमुख प्रणालियों को एक किया गया है। यह चैटबॉट-आधारित पंजीकरण, बहुभाषी पहुंच और कानूनी पेशेवरों और दिव्यांग उपयोगकर्ताओं के लिए सहायता जैसी सुविधाएं प्रदान करता है।
उद्घाटन सत्र के दौरान, एनसीडीआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के बढ़ते दायरे और पारंपरिक अदालतों से उपभोक्ता आयोगों की ओर बढ़ते मुकदमेबाजी के बारे में बताया। उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोगों को बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया और उनसे उपभोक्ता विवाद समाधान में दक्षता और पहुंच बढ़ाने के लिए अधिक डिजिटल-अनुकूल और तकनीक-सक्षम दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति साही ने तेजी से बदलते परिवेश की मांगों को पूरा करने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर जोर दिया। उन्होंने आयोग के आदेशों को प्रभावी रूप से लागू करना सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक निकायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का भी आह्वान किया और विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता वाले मामलों जैसे कि चिकित्सा संबंधी लापरवाही या ऑटोमोबाइल विवाद में समय पर समन्वय की सलाह दी ताकि जांच के कारण से न्याय में देरी न हो और उपभोक्ताओं के मामलों का समय पर निवारण सुनिश्चित हो सके।
कार्यशाला में चार विषयगत तकनीकी सत्र और दो समानांतर सत्र शामिल थे। इन सत्रों की अध्यक्षता न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही ने की और सह-अध्यक्षता श्रीमती निधि खरे ने की। इनमें प्रमुख क्षेत्रों में उपभोक्ता शिकायत निवारण को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन सत्रों में न्यायिक प्रमुखों, राज्य के अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी के साथ ई-जागृति, रियल एस्टेट और बीमा शिकायत निवारण तंत्र और चिकित्सा संबंधी लापरवाही के मामलों के निवारण में डिजिटल नवाचारों के बारे में चर्चा की गई। समानांतर सत्रों में जन विश्वास अधिनियम, 2023 के अनुरूप विधिक माप विज्ञान को लागू करने के महत्व और स्वतंत्र परीक्षण के माध्यम से उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने, दक्षिणी क्षेत्र में उपभोक्ताओं के संरक्षण और उद्योग की जवाबदेही में राष्ट्रीय परीक्षण शाला की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।
विभाग देश भर में उपभोक्ता मामलों की नियमित निगरानी के लिए केंद्रित प्रयास कर रहा है। इस अभियान में भारत के विभिन्न भागों में एक दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशालाओं और राज्य-विशिष्ट बैठकों का आयोजन शामिल है। ये चर्चाएं लंबित उपभोक्ता मामलों के मुद्दे पर चर्चा करने और तेज़ और अधिक प्रभावी निवारण सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक समाधानों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करती है।
भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के अपर सचिव भरत खेड़ा ने नैतिक व्यापार में भारत की ऐतिहासिक जड़ों और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के परिवर्तनकारी प्रभाव के बारे में बताया। तमिलनाडु सरकार के सहकारिता, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव श्री थिरु सत्यब्रत साहू ने उपभोक्ता संरक्षण संस्थानों को मजबूत करने के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल दिया और न्याय सुनिश्चित करने में नीति निर्माताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
कार्यशाला का समापन प्रतिभागी राज्यों और हितधारकों के अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण तंत्र को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। उपभोक्ता मामले विभाग दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और पूरे देश में उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानूनों, विनियमों और पहलों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ सहयोग करना जारी रखेगा।
इसमें मंत्रालय के अधिकारियों, राज्य आयोगों के सदस्यों, जिला आयोगों के अध्यक्षों, जिला आयोगों के सदस्यों और दक्षिणी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों – कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, लक्षद्वीप, पुडुचेरी और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया साथ ही इसमें इस क्षेत्र के स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों की भी उपस्थिति रही।