एक देश एक चुनाव” वर्तमान की जरूरत, इस पहल के लिए प्रधानमंत्री का आभार : जयराम ठाकुर

शिमला : नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने 129वें संविधान संशोधन “एक देश -एक चुनाव” पर संसद  द्वारा लोक सभा सदस्य पीपी चौधरी की अध्यक्षता में गठित संयुक्त संसदीय समिति द्वारा आयोजित बैठक में शामिल होकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि “एक देश -एक चुनाव” देश के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। क्योंकि हर चुनाव की वजह से चार से पांच महीनें सरकार के काम काज प्रभावित होते हैं। इसीलिए संविधान निर्माताओं ने ऐसी व्यवस्था की थी। वर्ष 1951 से 1967 तक देश में यह व्यवस्था निर्बाध चलती रही। हिमाचल प्रदेश में 1977 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए। बार-बार चुनाव की वजह से विकासात्मक योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा आती है। नीति निर्माण में अड़चनें आती हैं। आदर्श आचार संहिता के चलते विकास कार्य प्रभावित होते हैं। देश में हर वर्ष कहीं न कहीं चुनाव होते हैं। जिसकी वजह से विकास कार्य प्रभावित होते हैं। देश का विकास प्रभावित न हो इसके लिए  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “एक देश एक चुनाव” लागू करने का बीड़ा उठाया है।

जयराम ठाकुर ने कहा कि  “एक देश-एक चुनाव” देश की आवश्यकता है। बार–बार चुनाव होने से समय की ही नहीं धन और संसाधन की भी बर्बादी होती है। नीति निर्धारण के ही नहीं आम जन से जुड़े कार्य भी प्रभावित होते हैं।
जन भावनाएं इसके पक्ष में हैं।“एक देश -एक चुनाव” जब भी लागू होगा तो अवश्य ही कुछ राज्यों की सरकारों के कार्यकाल में कटौती की
संभावना अवश्य रहेगी लेकिन इस योजना के दीर्घकालीन लाभ को देखते यह शुरुआत कहीं से करनी होगी। यह काम बहुत कठिन है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कठिन कार्य करने के लिए जाने जाते हैं। यही उनका ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। देश की जनता ने उन्हें चुना है और उन्होंने चुनावी प्रक्रिया में ऐतिहासिक सुधार की पहल की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  को “एक देश-एक चुनाव” की पहल के लिए हार्दिक आभार। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह महत्वपूर्ण कार्य उनके ही नेतृत्व में प्रारम्भ होगा।

जयराम ठाकुर ने संयुक्त संसदीय समिति के सम्मुख अपने विचार रखते हुए कहा कि जब “एक देश -एक चुनाव” की व्यवस्था लागू हो रही है तो देश के कई राज्यों में विधान परिषद की व्यवस्था है और कई प्रदेशों में विधान परिषद नहीं है। इस व्यवस्था में भी एकरूपता लाई जानी चाहिए। उनके इस सुझाव को संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने सराहा और उचित मंच तक इस बात को रखने का आश्वाशन भी दिया।

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