हिमाचल के शैक्षणिक दल ने HIAL का दौरा कर वैकल्पिक शिक्षा मॉडल का अध्ययन किया,,व्यावहारिक शिक्षा का आदर्श मॉडल है HIAL

शिमला। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अगुवाई में लद्दाख दौरे पर गए हिमाचल के शैक्षणिक दल ने आज प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद एवं शिक्षाविद सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लद्दाख (HIAL) का दौरा किया। हिमाचल के दल ने संस्थान के अनूठे शिक्षा मॉडल का अवलोकन किया, जो पारंपरिक पाठ्यपुस्तकों से हटकर ‘लर्निंग बाय डूइंग’ यानी व्यावहारिक अनुभव आधारित शिक्षा प्रणाली पर आधारित है। यहां छात्रों को स्थानीय समस्याओं, जलवायु परिस्थितियों और समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे उनमें नेतृत्व, नवाचार और समस्या समाधान की क्षमताएं विकसित हो रही हैं। इस दौरान समग्र शिक्षा हिमाचल के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत शर्मा तथा स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

स्थानीय संस्कृति और व्यवहारिकता पर आधारित वैकल्पिक शिक्षा: HIAL और SECMOL
सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित HIAL एक प्रयोगात्मक शिक्षण संस्थान है, जिसका उद्देश्य लद्दाख जैसे कठिन और सीमांत क्षेत्रों के युवाओं को शिक्षित, आत्मनिर्भर और सतत विकास के लिए तैयार करना है। यहां केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि छात्र मिट्टी से घर बनाना, आइस-स्टूपा तैयार करना, सौर ऊर्जा का उपयोग और सामुदायिक सहभागिता जैसे कार्यों के माध्यम से सीखते हैं। सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित यह संस्थान जमीनी, व्यावहारिक और हृदयस्पर्शी शिक्षा का उत्कृष्ट उदाहरण है। शिक्षा मंत्री ने सोनम वांगचुक और संस्थान के अन्य अधिकारियों  के साथ भी एक बैठक की। इस दौरान HIAL से हिमाचल के शिक्षकों को प्रशिक्षण देने और हिमाचल और संस्थान के बीच छात्र अदान प्रदान कार्यक्रम शुरू करने की संभावनाओँ पर भी चर्चा की गई।
हिमाचल सरकार इस सहयोग को औपचारिक रूप देने के लिए संस्थान के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) भी करेगी।

हिमाचल के शैक्षणिक दल ने वांगचुक द्वारा स्थापित SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) संस्थान का भी दौरा किया। यह संस्था स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण और क्षेत्रीय आवश्यकताओं पर आधारित वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देती है। SECMOL ने लद्दाखी भाषा में पुस्तकें तैयार की हैं, शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है और छात्रों को जीवन उपयोगी ज्ञान पर आधारित शिक्षा प्रदान करने पर बल दिया है।

हिमालयी राज्यों के लिए अनुकरणीय मॉडल
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस अवसर पर सोनम वांगचुक के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि HIAL जैसे संस्थानों से व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा मिलने से छात्रों की ड्रॉपआउट दर में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि वांगचुक का कार्य यह दर्शाता है कि किस प्रकार शिक्षा को हिमालय के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र के साथ जोड़ा जा सकता है। यह केवल एक चुनौती नहीं, बल्कि एक सुनहरा अवसर भी है, जिसमें भावी पीढ़ियों के लिए संवेदनशील, सतत और समुदाय आधारित शिक्षा प्रणाली विकसित की जा सकती है।
शिक्षा मंत्री ने वांगचुक को एक बहुआयामी व्यक्तित्व वाला व्यक्ति बताते हुए कहा कि वह न केवल सामाजिक कार्यकर्ता और जलवायु कार्यकर्ता हैं, बल्कि एक दूरदर्शी शिक्षा सुधारक भी हैं। उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि वांगचुक के शोध और प्रयोगों का लाभ लद्दाख के साथ-साथ हिमाचल जैसे अन्य हिमालयी राज्यों को भी मिलेगा।

*हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को जीवन का मिशन बनाया*
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सोनम वांगचुक ने लद्दाख जैसे संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को जीवन का मिशन बनाया है। उन्होंने आइस-स्टूपा तकनीक जैसी अभिनव विधियों से जल संकट का समाधान किया, सौर ऊर्जा और सतत निर्माण तकनीकों को बढ़ावा दिया और स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल शिक्षा और जीवनशैली को प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण को जनआंदोलन बनाया है।

स्थानीय भाषा व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का उत्कृष्ट उदाहरण
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस बात पर बल दिया कि हिमाचल की सीमाएं लद्दाख से लगती हैं, इसलिए HIAL जैसे संस्थानों से सीखना और राज्य की शिक्षा व्यवस्था में इन नवाचारों को लागू करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा, संस्कृति और समुदाय आधारित शिक्षा को भावी पीढ़ियों तक संरक्षित रूप में पहुंचाने के लिए वांगचुक का कार्य अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक के संस्थान ने छात्रों की छिपी हुई प्रतिभा को पहचानकर उन्हें असफलता से सफलता की ओर अग्रसर किया है, जो कि देश भर के लिए प्रेरणास्रोत है। सोनम वांगचुक का सफल होना न केवल लद्दाख और हिमाचल के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए आवश्यक और हितकारी है।

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