केंद्र सरकार ने आपदा में भेजी एनडीआरएफ की 5 टीमें, इसके अलावा 13 टीमों को किया था तैनात : नित्यानंद राय

 हिमाचल प्रदेश के लिए 2006.40 करोड़ रुपये के परिव्यय को पहले ही मंजूरी दे दी, 451.44 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त भी दिनांक 7 जुलाई, 2025 को जारी

शिमला, हिमाचल प्रदेश में आपदा के चलते भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सुरेश कश्यप द्वारा लोकसभा में लगाए गए प्रश्न ने हिमाचल को केंद्र द्वारा भेजी गई सहायता पर प्रकाश डाला।
सुरेश कश्यप ने केंद्रीय गृह मंत्री से पूछा कि क्या केन्द्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से निपटने के लिए एनडीआरएफ की टीम भेजी है ? केन्द्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश के आपदा प्रभावित क्षेत्रों को किस प्रकार की सहायता प्रदान की गई है ? क्य बादल फटने की भावी घटनाओं का पूर्वानुमान करने और उनसे निपटने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं ? इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन के कारण जान-माल की कितनी क्षति हुई है?

इन सवालों के उत्तर में गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के परामर्श से, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 5 टीमों को मानसून-2025 के लिए कुल्लू, शिमला, सिरमौर, लाहौल और स्पीति, किन्नौर में पहले से तैनात किया गया था। इसके अलावा, वर्तमान मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन के मद्देनजर, राज्य में बचाव और राहत कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 13 टीमों को तैनात किया गया है।
केंद्रीय मंत्री के बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार को एसडीआरएफ़ के तहत वित्तीय वर्ष 2025-2026 के लिए 441.60 करोड़ (397.60 करोड़ केंद्रीय अंश + 44.00 करोड़ राज्य अंश) की धनराशि आवंटित की गई है जिसके केंद्रीय अंश से 198.80 करोड़ रुपये की पहली किस्त राज्य को जारी कर दी गई है। इसके अतिरिक्त, हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार द्वारा राज्य के एसडीआरएफ़ खाते में 1 अप्रैल, 2025 को 81.10 करोड़ रुपये का शुरुआती शेष उपलब्ध बताया गया है। साथ ही, वर्ष 2024 की बाढ़ एवं भूस्खलन के लिए एनडीआरफ से 107.15 करोड़ रुपये जारी किये गए।
इसके अलावा, चालू मानसून के दौरान बाढ़, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से ज्ञापन की प्रतीक्षा किए बिना ही नुकसान का मौके पर आकलन करने के लिए एक आईएमसीटी का गठन किया। आईएमसीटी ने दिनांक 18 से 21 जुलाई, 2025 तक राज्य के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने गंभीर आपदा के बाद पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके लिए एसडीआरएफ/एनडीआरएफ से वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा 2023 की बाढ़ और भूस्खलन के बाद एनडीआरएफ के तहत पुनर्निर्माण और पुनर्निर्माण की आवश्यकता का आकलन करते हुए एक आपदा-पश्चात आवश्यकता मूल्यांकन (पीडीएनए) किया गया था। केंद्र सरकार ने पुनर्निर्माण और पुनर्निर्माण निधि के दिशानिर्देशों के तहत स्थापित प्रक्रिया के अनुसार हिमाचल प्रदेश के लिए 2006.40 करोड़ रुपये के परिव्यय को पहले ही मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, 451.44 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से की पहली किस्त भी दिनांक 7 जुलाई, 2025 को जारी कर दी गई है।
नित्यानंद राय ने बताया कि राज्य में बादल फटने, अचानक बाढ़, भूस्खलन और मूसलाधार वर्षा की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि को देखते हुए, माननीय केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे, भूविज्ञानी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर के विशेषज्ञों की एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम गठित की गई है। हिमाचल प्रदेश राज्य सरकार द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, दिनांक 12.08.2025 तक 226 जन जीवन की हानि और 2,703 पशु धन की क्षति हुई है तथा 2535 मकान क्षतिग्रस्त हो गए।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति (एनपीडीएम) के अनुसार, जमीनी स्तर पर राहत सहायता के वितरण सहित आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारें प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मदों और मानदंडों के अनुसार, पहले से ही उनके पास उपलब्ध राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) से राहत उपाय करती हैं। केंद्र सरकार राज्य सरकारों के प्रयासों में सहायता करती है और अपेक्षित लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि ‘गंभीर प्रकृति’ की आपदा के मामले में, निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के दौरे के आधार पर मूल्यांकन शामिल है।

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