मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस यात्रा के लिए बच्चों को दी बधाई
शिमला। हिमाचल प्रदेश के पांच मेधावी छात्रों को जापान की विज्ञान, तकनीक और संस्कृति को नजदीक से जानने का अनूठा अवसर मिला। जापान साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी (Japan Science and Technology Agency – JST) द्वारा आयोजित इस प्रतिष्ठित सकुरा साइंस (Sakura Science) कार्यक्रम के तहत भारत के कुल 35 मेधावी छात्र शामिल थे, जिनमें हिमाचल के पांच छात्रों ने भी अपनी भागीदारी दर्ज कराई। इसके साथ ही मिस्र (Egypt), घाना (Ghana), केन्या (Kenya), नाइजीरिया (Nigeria), दक्षिण अफ्रीका (South Africa) और जाम्बिया (Zambia) जैसे छह अफ्रीकी देशों के विद्यार्थी भी इस पहल का हिस्सा बने। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा के मार्गदर्शन में हिमाचल के इन छात्रों को जापान की चार दिवसीय शैक्षिक यात्रा करने का यह अवसर मिला। बीते दिनों शिमला में आयोजित समग्र शिक्षा के एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने इन छात्रों को जापान के लिए रवाना किया था।
*संस्कृति और विज्ञान का अनूठा संगम देखने को मिला*
यात्रा के पहले दिन छात्रों को जापानी संस्कृति की बारीकियों से परिचित कराने के लिए ओरिगामी कार्यशाला (Origami Workshop) आयोजित की गई। इसके बाद विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. फुजिशिमा अकीरा (Prof. Fujishima Akira) ने फोटोकैटलिस्ट (Photocatalyst) विषय पर व्याख्यान दिया, जिसने छात्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान के प्रति नई जिज्ञासा जगाई। छात्रों ने इसी दिन टोक्यो विश्वविद्यालय (University of Tokyo) का दौरा भी किया। हिमाचल के छात्रों ने पहली बार ओरिगामी जैसी जापानी कला को सीखने का अनुभव लिया और इस कला के माध्यम से संस्कृति और विज्ञान दोनों के साथ-साथ चलने की अनोखी सीख सीखी।
*विज्ञान के अत्याधुनिक शोध और ऐतिहासिक धरोहरों से परिचित हुए छात्र*
दूसरे दिन छात्रों ने टोक्यो विश्वविद्यालय के काशीवा कैम्पस (Kashiwa Campus) का भ्रमण किया, जहां उन्हें लेज़र तकनीक (Laser Technology) और उसके अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी दी गई। इसके साथ ही छात्रों को प्रसिद्ध सेंसो-जी मंदिर (Senso-ji Temple) और पांच मंजिला पगोड़ा (Five-Storey Pagoda) के दर्शन का मौका मिला। विज्ञान और अध्यात्म से परिचय का यह अनुभव छात्रों के लिए बेहद सुखद और ज्ञानवर्धक रहा।
*छात्रों को मिली नवाचार और आपदा प्रबंधन की सीख*
तीसरे दिन छात्रों को जापान की रेल प्रणाली और उसके नवाचारों से परिचित कराने के लिए रेलवे म्यूजियम (Railway Museum) ले जाया गया। छात्रों ने यह देखा कि किस तरह जापान ने तकनीक के दम पर अपनी रेल व्यवस्था को दुनिया के सामने मिसाल बनाया। इसके बाद सोना एरिया टोक्यो (Sona Area Tokyo) में आपदा प्रबंधन और बचाव की तैयारियों पर विशेष सत्र आयोजित हुआ। वहीं, भारतीय दूतावास (Embassy of India, Tokyo) में संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसने छात्रों के अनुभव और उत्साह को और बढ़ाया।
*मानव-मशीन इंटरफेस देखने का मिला अवसर*
अंतिम दिन छात्रों ने साइबरडाइन स्टूडियो (Cyberdyne Studio) का दौरा किया और हैल रोबोट सूट (HAL Robot Suit) के माध्यम से मानव-मशीन इंटरफेस (Human-Machine Interface) जैसी अत्याधुनिक तकनीक का अनुभव किया। इसके बाद त्सुचिउरा सीनियर हाई स्कूल (Tsuchiura Senior High School) में छात्रों ने जापानी संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लिया। इसमें सुलेख कला (Calligraphy), माचा टी सेरेमनी (Matcha Tea Ceremony) और पारंपरिक संगीत प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।
इस कार्यक्रम का समापन एक भव्य समापन समारोह (Grand Closing Ceremony) के साथ हुआ, जिसमें डॉ. वाई.डी. पंवार (Dr. Y.D. Panwar) की उपस्थिति रही। इस अवसर पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, उत्सव और भावपूर्ण विदाई समारोह आयोजित किए गए।
इस पहल से देश के अन्य छात्रों के साथ-साथ हिमाचल के छात्रों को विज्ञान और तकनीक के साथ-साथ जापान की संस्कृति को जानने का अवसर मिला। इस अनुभव ने छात्रों को वैश्विक संपर्क बढ़ाने, जापानी संस्कृति और विज्ञान की समझ को गहरा करने और भविष्य में सहयोग की नई संभावनाओं को प्रेरित करने में सहायक भूमिका निभाई।
हिमाचल के छात्रों ने इस शैक्षणिक यात्रा में सहयोग के लिए समग्र शिक्षा का आभार व्यक्त किया। उनका मानना है कि यह यात्रा उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित होगी और यहाँ से प्राप्त अनुभव उन्हें भविष्य में शोध और नवाचार की ओर प्रेरित करेंगे।