ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रही 82 वर्षीय महिला को फोर्टिस अस्पताल में मिला जीवनदान, मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से सफल इलाज

शिमला, 12 जून। ब्रेन स्ट्रोक से जूझ रही 82 वर्षीय महिला को फोर्टिस अस्पताल ने नया जीवन प्रदान किया। यह महिला ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होने के 4 घंटे के भीतर यहां पहुंची थी, उनके शरीर के बाएं हिस्से को लकवा हो गया था। चिकित्सकीय हस्तक्षेप में किसी प्रकार की देरी रोगी महिला के लिए घातक साबित हो सकती थी।

स्ट्रोक के लिए रोगी के इलाज के लिए सबसे उन्नत उपचार मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी का उपयोग किया गया था। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक मिनिमल इनवेसिव प्रोसेस है जिसमें क्लॉट हटाने के लिए मस्तिष्क की धमनी में कैथेटर डालना शामिल है। यह रक्त के प्रवाह को बहाल कर देता है और कुछ ब्रेन स्ट्रोक रोगियों के लिए 24 घंटे तक उपचार की अवधि बढ़ाकर रोगी को पैरालिसिस या मृत्यु से बचाता है।

डॉ. विवेक अग्रवाल, कंसल्टेंट, न्यूरो-इंटरवेंशन एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, फोर्टिस मोहाली के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने मरीज की मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी की और उनकी ब्रेन आर्टरी से क्लॉट हटा दिया।

शिमला में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए डॉ. विवेक अग्रवाल ने बताया कि मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी को ब्रेन स्ट्रोक के रोगियों के लिए गोल्ड स्टैण्डर्डउ पचार माना जाता है। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक के मरीजों को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचना चाहिए, क्योंकि हर सेकंड मायने रखता है। औसतन हर 20 सेकंड में एक भारतीय को ब्रेन स्ट्रोक होता है। यदि हॉस्पिटल 24×7 व्यापक स्ट्रोक देखभाल सुविधाओं से सुसज्जित नहीं हैं तो समय बर्बाद हो जाता है और मरीज स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हो जाता है। ऐसे में एक औसत रोगी अनुपचारित इस्केमिक स्ट्रोक में हर मिनट 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स खो देता है जो हमेशा पैरालिसिस या मृत्यु का कारण बनता है।

उन्होंने कहा कि फोर्टिस मोहाली 24×7 स्ट्रोक के लिए तैयार अस्पताल है और न्यूरोलॉजिस्ट, इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, आपातकालीन चिकित्सकों, एनेस्थेटिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट की एक विशेषज्ञ टीम से लैस है जो थ्रोम्बोलिसिस, मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी, स्ट्रोक आईसीयू देखभाल और पुनर्वास जैसे 24×7 स्ट्रोक उपचार प्रदान करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *