हिमाचल में यूनेस्को का FUTURE कार्यक्रम अन्य राज्यों के लिए तय करेगा दिशा : राकेश कंवर

124 पीएम श्री स्कूलों में होगी शुरुआत, पूरे स्टाफ होंगे प्रशिक्षित, स्टेकहोल्डर्स भी होंगे जागरूक

शिमला। हिमाचल प्रदेश FUTURE (Foundation for Upskilling, Teacher Excellence, Understanding, Readiness, Equity and Sustainability) कार्यक्रम की स्टीयरिंग कमेटी की पहली बैठक शुक्रवार को राज्य सचिवालय में शिक्षा सचिव राकेश कंवर की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में कार्यक्रम के वर्क प्लान की प्रेजेंटेशन दी गई और इसको अंतिम रूप दिया गया। हिमाचल में यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा और मार्च 2026 तक इसकी अंतिम रिपोर्ट तैयार कर दी जाएगी।
इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रदेश के 124 पीएम श्री विद्यालयों से की जाएगी। इसके अंतर्गत तीन प्रमुख पहलुओं पर फोकस रहेगा— विद्यार्थियों को 21वीं सदी की कौशल एवं दक्षता आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना, खेलों के माध्यम से मूल्य शिक्षा को बढ़ावा देना और  हरित विद्यालय और शिक्षा को प्रोत्साहित करना।

बैठक में समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के निदेशक शिवम प्रताप सिंह, यूनेस्को की साउथ एशिया पैसिफिक शिक्षा प्रमुख जॉयस पोआन, सदस्य श्रद्धा चिकरूर, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. संतोष अत्री, यूनेस्को के हिमाचल कोऑर्डिनेटर संतोष तिवारी, एससीईआरटी की प्रिंसिपल डा. रजनी संख्यान, समग्र शिक्षा के अधिकारी- कोऑर्डिनेटर और विभिन्न विभागों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि हिमाचल की यूनेस्को के साथ यह साझेदारी दीर्घकालिक होगी। देश में पहली बार हिमाचल में यह कार्यक्रम लागू किया जा रहा है और इसका सफल क्रियान्वयन अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा निदेशालय, समग्र शिक्षा और  एसईआरटी व डाइट इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम को मिलकर लागू करेंगे।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शिक्षकों के चयन सावधानीपूर्वक होगा ताकि केवल योग्य प्रशिक्षक ही इस कार्यक्रम को सही मायनों में आगे बढ़ा सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि स्कूलों के पूरे स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाए और एसएमसी, पीटीए सहित अन्य स्टेकहोल्डर्स को भी कार्यक्रम के बारे में जागरूक किया जाए। इस कार्यक्रम को समग्र शिक्षा के वीएसके से लिंक करने की बात भी उन्होंने कही।
राकेश कंवर ने कहा कि कार्यक्रम इस प्रकार लागू हो कि बच्चों पर अतिरिक्त शैक्षणिक बोझ न पड़े, बल्कि गतिविधियां उन्हें आनंद के साथ सीखने के लिए प्रेरित करें। खेल गतिविधियों में बच्चों को केवल स्थानीय स्तर तक सीमित न रखकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों से भी जोड़ा जाए ताकि उनकी बौद्धिक क्षमता का विस्तार हो सके।

*कार्यक्रम में दूरदराज क्षेत्रों के स्कूल भी होंगे शामिलः राजेश शर्मा*
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ही राज्य सरकार और यूनेस्को के मध्य इस कार्यक्रम के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुरूप इस कार्यक्रम में जनजातीय एवं दूरदराज क्षेत्रों के विद्यालयों को भी शामिल किया जा रहा है। इसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु कार्यशालाएं होंगी, जहां सीखी गई प्रथाओं को व्यवहार में लाने पर जोर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्षों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF) लागू होने से दक्षता-आधारित शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हुआ है। अब पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे ठोस और स्पष्ट परिणाम सामने आएं।
राजेश शर्मा ने कहा कि हिमाचल में पहले से ही सामाजिक-भावनात्मक-नैतिक शिक्षा, ग्रीनिंग ऑफ स्कूल्स और ईको क्लब जैसी पहलें चल रही हैं। FUTURE कार्यक्रम के अंतर्गत इन सभी की वर्तमान स्थिति और विद्यार्थियों पर उनके प्रभाव का आकलन किया जाएगा और  शिक्षकों में विकसित दक्षताओं का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
स्कूली शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने कहा कि हिमाचल ने शिक्षा के क्षेत्र में पहले भी अनेक पहलें सफलतापूर्वक लागू की हैं। प्रदेश के मिड डे मील वाले करीब 90 प्रतिशत विद्यालयों में किचन गार्डन हैं और स्कूलों में ईको क्लब सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अंडर-14 और अंडर-19 खेल प्रतियोगिताएं ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर तक आयोजित की जाती हैं। इसी तरह शिक्षकों का प्रशिक्षण निरंतर चल रहा है। अब आवश्यकता इन मौजूदा पहलों और यूनेस्को के FUTURE कार्यक्रम को एकीकृत किया करने की है ताकि और भी प्रभावी परिणाम सामने आ सकें।

*हिमाचल के साथ साझेदारी करना यूनेस्को के लिए गर्व की बातः  जॉयस पोआन*
यूनेस्को की साउथ एशिया पैसिफिक शिक्षा प्रमुख जॉयस पोआन ने कहा कि कार्यक्रम का क्रियान्वयन चरणबद्ध ढंग से होगा और मार्च 2026 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल शिक्षा नेतृत्व और नवाचार में अग्रणी रहा है और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारी साझेदारी हिमाचल सरकार के साथ हुई है। उन्होंने कहा कि 124 पीएम श्री विद्यालय इस कार्यक्रम के मॉडल स्कूल होंगे। ये विद्यालय शिक्षकों के प्रशिक्षण, खेलों को बढ़ावा देने,  ग्रीनिंग गतिविधियों और ईको क्लब का केंद्र बनेंगे और विद्यार्थियों को आधुनिक कौशलों से सशक्त करेंगे।
जॉयस पोआन ने बताया कि पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। ग्रीनिंग करिकुलम केवल पर्यावरण शिक्षा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें सामाजिक पहलुओं और सामुदायिक सहभागिता को भी जोड़ा जाएगा। विद्यालयों में सुरक्षा को भी इसमें महत्वपूर्ण स्थान दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन मार्च 2026 तक चलेगा। ‎

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