कुल्लू। कुल्लू ज़िला में मानसून सीजन के दौरान बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं से सरकारी और निजी सम्पतियों को भारी नुकसान हुआ। जगह–जगह सड़कें टूटीं, पुल बहे, बिजली–पानी जैसी बुनियादी सेवाएँ ठप हो गईं और सैकड़ों गाँव बाहरी दुनिया से कट गए थे। लोगों का जीवन मानो ठहर–सा गया था। जैसे–जैसे मौसम साफ़ हुआ, वैसे–वैसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देशों और नेतृत्व में राहत तथा पुनर्निर्माण के प्रयासों ने तीव्र गति पकड़ ली है।
सबसे बड़ी राहत ज़िला के किसानों और बागवानों को मिली है। मुख्यमंत्री ने तुरंत आदेश दिए कि प्राथमिकता पर सेब,अनार और सब्जियों को मंडियों तक पहुँचाया जाए, ताकि बागवानों को किसी तरह की आर्थिक क्षति का सामना न करना पड़े। ज़िला प्रशासन और एनएचआई ने युद्धस्तर पर काम करते हुए कुल्लू–मनाली–मंडी मार्ग, ओट से बंजार और ओट से सैंज, भुंतर मनीकरण तक वाहनों की आवाजाही के लिये दिन-रात युद्ध स्तर पर कार्यं आरम्भ कर रिकॉर्ड समय में सड़कों को खोला है
गंभीर प्रयासों से सेब से लदी गाड़ियाँ प्रदेश से बाहर जा रही हैं और बागवानों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है। संकट की घड़ी में किसानों की यह राहत वास्तव में सरकार की संवेदनशीलता का प्रतीक है।
सरकार ने केवल सड़कों तक ही अपने प्रयास सीमित नहीं रखे। ज़िला के दुर्गम और सड़क से कट चुके इलाकों में भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से अब तक 150 क्विंटल से अधिक राशन एयर–ड्रॉप किया । ड्रोन के माध्यम से भी राशन लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। गाड़ियों के माध्यम से ज़िला के
उचित मूल्यों की दुकानों तक राशन पहुंचाने कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने के लिए भी अधिकारी कर्मचारी दिन–रात ग्राउंड जीरो पर डटे हैं। कई क्षेत्रों में रोशनी और स्वच्छ पानी की सुविधा वापस लौट आई है। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों पर जिला में मोबाइल कनेक्टिविटी बहाल होने से लोग अपने परिजनों और प्रशासन से सीधे जुड़ पा रहे हैं, जिससे मनोबल मज़बूत हुआ है।
ज़िला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रचुर मात्रा में आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करवा दी गयी हैं। दुर्गम और दूर दराज के क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं के लिये जिनके प्रसव में एक से डेढ़ माह शेष है। ऐसी महिलाओं की सुविधा और जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिये सीएचसी तेलगूबेहड़ में बर्थ वेटिंग होम बनाया गया है।
इन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री का व्यक्तिगत हस्तक्षेप और लगातार निगरानी सबसे अहम रही है। हर स्तर पर उनके निर्देशों ने राहत कार्यों को गति दी है। यह आपदा हिमाचल के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन सरकार ने यह साबित किया है कि अगर इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता हो तो मुश्किल से मुश्किल हालात का भी डटकर सामना किया जा सकता है।
आज कुल्लू की जनता के चेहरे पर सरकार के प्रति उम्मीद और भरोसा साफ़ झलकता है। किसान–बागवान हों या आम नागरिक, सभी मुख्यमंत्री और प्रशासन के प्रयासों के लिए आभार प्रकट कर रहे हैं। यह आपदा न केवल कठिन परीक्षा थी, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि सरकार और जनता मिलकर हर संकट से पार पा सकते हैं।
कुल्लू ज़िला के दूर दराज तथा दुर्गम क्षेत्रों में भी सरकार के गंभीर प्रयासों से जनजीवन पटरी पर लौट रहा है। यह बदलाव केवल राहत और पुनर्निर्माण कार्यों की तेज़ी नहीं है, बल्कि यह इस विश्वास की वापसी है कि सरकार हर परिस्थिति में अपनी जनता के साथ खड़ी है।