प्रदेश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और मॉडर्न टूल के लिए अधिक सहायता की आवश्यकता : जगत सिंह नेगी

कुल्लू। भारत में भू प्रशासन में आधुनिक प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ राजस्व, बागवानी, आदिवासी विकास एवं लोक शिकायत मंत्री जगत सिंह सिंह नेगी ने किया। राष्ट्रीय समेलन में देश के 24 प्रदेशों के 72 वरिष्ठ अधिकारियों सहित हिमाचल प्रदेश के भी 72 वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे । सम्मेलन का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक ऐसा सहयोगात्मक मंच होगा, जहाँ वे मिलकर भारत में प्रौद्योगिकी-आधारित भूमि शासन के लिए एक साझा रोडमैप तैयार करेंगे।
 इस अवसर पर राजस्व मंत्री, जगत सिंह नेगी ने भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के भूमि संसाधन विभाग का हिमाचल प्रदेश के मनाली में भारत में भू प्रशासन में आधुनिक प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन पर दो दिवसीय सम्मेलन के आयोजन के लिये आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहली बार इस तरह के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। जिसका लाभ प्रदेश में लैंड रिकार्ड्स के डिजिटाइजेशन में प्राप्त होगा।
     उन्होंने कहा कि लैंड रिकॉर्ड विभाग में रिकॉर्ड को डिजिटल बनाना समय की आवश्यकता है। इसके लिए 24 राज्यों से आए डेलिगेट दो दिनों तक मंथन करेंगे कि देशभर में भूमि अभिलेखों को किस तरह प्रभावी ढंग से मॉडर्नाइज़ किया जाए और उनके-अपने राज्यों में इस दिशा में अब तक क्या प्रगति हुई है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के सहयोग से आयोजित यह सम्मेलन भूमि एवं राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटाइलाइज करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
     जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राजस्व विभाग में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। प्रदेश में हर माह राजस्व अदालतें आयोजित की जा रही हैं, जिससे म्यूटेशन प्रक्रियाओं में तेजी आई है और आम लोगों को सीधा लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होंने इन राजस्व अदालतों में भूमि संबंधी अन्य मामलों को भी शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि प्रदेश में राजस्व सम्बन्धी वर्षों से लंबित अन्य मामलों का शीघ्र निपटारा हो सके।
    उन्होंने कहा कि प्रदेश को भूमि और राजस्व सुधारों के लिए पर्याप्त सहयोग मिल रहा है, परंतु प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और मॉडर्न टूल उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र की ओर से अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध करवाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हर राज्य की अपनी चुनौतियाँ और आवश्यकताएँ होती हैं, इसलिए नीतियों में लचीलापन ज़रूरी है। उन्होंने इससे नागरिकों को अधिक सटीक भूमि रिकॉर्ड, विवादों में कमी, तथा पारदर्शी एवं कुशल भूमि प्रशासन प्रणाली का लाभ दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
     उन्होंने बताया कि प्रदेश में नक्शा प्रोग्राम के तहत अंतर्गत प्रदेश के चार शहरों नादौन, पालमपुर, मंडी और सोलन में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से विभिन्न राज्यों के बीच अनुभवों का आदान–प्रदान होगा, जिससे राजस्व नियमों को और अधिक पीपल-फ्रेंडली बनाकर जनता को बेहतर सेवा प्रदान की जा सकेगी। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग के प्रति जो पारंपरिक धारणा लोगों में बनी हुई है, उसे बदलना समय की आवश्यकता है। इसके लिए विभाग को सशक्त, आधुनिक और पारदर्शी बनाना होगा।
     इस अवसर पर राजस्व मंत्री ने मुख्यमंत्री की ओर से राजस्व विभाग की ऑनलाइन सेवाओं में डिजिटली साइंड और अपडेटेड जमाबन्दी, ऑनलाइन म्युटेशन मॉड्यूल, भू नक्शा-5, माई डीड रजिस्ट्रेशन मॉड्यूल और नक्शा सॉफ्टवेयर सुविधा का शुभारंभ किया।

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