ऊर्जा दक्षता लाने के लिए व्यवहार में बदलाव अत्यंत महत्वपूर्ण है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

नई दिल्ली। भारत की राष्ट्रपति  द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार 2025 और ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता के पुरस्कार प्रदान किए।

 

राष्ट्रपति ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ऊर्जा संरक्षण सबसे पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा का सबसे विश्वसनीय स्रोत है। ऊर्जा संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऊर्जा बचाना केवल कम उपयोग करना नहीं है, बल्कि ऊर्जा का बुद्धिमानी, जिम्मेदारी और कुशलता से उपयोग करना है। उन्होंने कहा कि जब हम बिजली के उपकरणों का अनावश्यक उपयोग करने से बचते हैं, ऊर्जा-कुशल उपकरणों को अपनाते हैं, अपने घरों और कार्यस्थलों में प्राकृतिक प्रकाश और वेंटिलेशन का उपयोग करते हैं, या सौर और नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को अपनाते हैं, तो हम न केवल ऊर्जा बचाते हैं बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी कम करते हैं। स्वच्छ हवा और सुरक्षित जल स्रोतों को बनाए रखने और एक संतुलित इकोसिस्‍टम के लिए भी ऊर्जा संरक्षण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की प्रत्येक इकाई जिसे हम बचाते हैं, प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता का प्रतीक होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ऊर्जा परिवर्तन की सफलता के लिए हर क्षेत्र और हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। सभी क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता लाने के लिए व्यवहार में बदलाव बेहद ज़रूरी है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हुए संतुलित जीवनशैली अपनाने की चेतना भारत की सांस्कृतिक परंपरा का अभिन्न अंग है – यही भावना हमारे विश्व के संदेश, ‘‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली – एलआईएफई’’ का आधार है। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत सभी हितधारकों की सराहना की और कहा कि उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक जिम्मेदारी, साझेदारी और जनभागीदारी की भावना से भारत ऊर्जा संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा और हरित भविष्य की दिशा में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा।

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