संसद के शीतकालीन सत्र में जनहित के 8 विधेयक मंज़ूर: अनुराग सिंह ठाकुर

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री व हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद  अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति पर कहा कि संसद के इस शीतकालीन सत्र में जनहित के 8 विधेयकों को मंजूरी मिली है।

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “ आदरणीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार सदा लोककल्याण के लिए प्रतिबद्ध रही है। भारत व भारतवासियों के हितों की चिंता, सामाजिक उत्थान, भारत के गौरव व सांस्कृतिक विरासत को सहेजने व इसे जन-जन तक पहुँचाने के लिए मोदी सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। अठारहवीं लोकसभा का छठा सत्र इसका सशक्त उदाहरण है। संसद के इस शीतकालीन सत्र में
सदन ने आठ विधेयकों को मंजूरी दी जिसमें ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ भी सम्मिलित है। शीतकालीन सत्र में सदन ने ‘भारत के रुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’, ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ और वर्ष 2025-26 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगें-प्रथम बैच और संबंधित विनियोग (संख्याक 4) विधेयक, 2025 को भी पारित किया. देश में अप्रचलित एवं पुराने हो चुके 71 कानूनों को निरस्त और संशोधित करने के प्रस्ताव वाले ‘निरसन और संशोधन विधेयक, 2025’ को भी निम्न सदन की स्वीकृति प्राप्त हुई”

अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा “विपक्ष के ग़ैर ज़िम्मेदार रवैये के बावजूद हमने सदन में देश की जनता की जरूरतों से जुड़े मुद्दे उठाने व उनके हित में काम में कोई कमी नहीं रखी।
लोकसभा ने ‘मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025’, ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और पान मसाला पर उपकर लगाने के प्रावधान वाले ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ को भी ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस का वंदे मातरम् के प्रति विरोध भी खुलकर देखने को मिला। कांग्रेस और दूसरी पार्टियों में एक कॉम्पिटिशन चल रहा है की कौन सबसे अधिक वंदे मातरम का विरोध करता है । यह कौन सी मानसिकता है कि जिस शब्द ने, जिस कविता ने राष्ट्रवाद का ज्वार पैदा किया, हमें अंग्रेज़ों से लड़ने का हौसला दिया हो उससे चंद लोगों को दिक्कतें हो रही है…जिस वंदे मातरम् पर हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए अपने जान न्योछावर किए उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम का धुन विश्वकवि रविंद्रनाथ टैगोर ने बनाया था उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम को लता दीदी ने अपनी आवाज दी उससे दिक्कत, जो वंदे मातरम चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, मदनलाल धींगरा, वीर सावरकर, राम प्रसाद विस्मिल जैसे क्रांतिकारियों का अभिवादन था उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम का नारा लगाने की वजह से हेडगेवार जी को स्कूल से निकाल दिया गया उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम के समर्थन में लेख छापने के कारण लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को देश निकाला मिला उससे दिक्कत, जिस वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का सम्मान प्राप्त है उससे भी दिक्कत आखिर क्यों?

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