चौपाल (हिमाचल प्रदेश)।महिला सशक्तिकरण की नई पहचान
विकास खंड चौपाल की महिलाएँ आज महिला सशक्तिकरण की एक नई पहचान बन चुकी हैं। अपने आत्मविश्वास, परिश्रम और संगठित प्रयासों के बल पर उन्होंने न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश में एक मिसाल कायम की है। यह ऐतिहासिक उपलब्धियाँ खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) विनीत ठाकुर के कुशल नेतृत्व और मार्गदर्शन में संभव हो सकी हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर स्थानीय उत्पादों की पहचान
चौपाल विकास खंड की स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने आजीविका संवर्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाते हुए इन महिलाओं ने विभिन्न प्रदर्शनियों और मेलों में अपने उत्पादों की प्रभावशाली प्रस्तुति की है। गौरव की बात यह है कि चौपाल की महिलाओं को राष्ट्रपति भवन तक अपने उत्पादों और कार्यों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला, जिससे पूरे क्षेत्र का नाम रोशन हुआ।
राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित चौपाल की महिलाएँ
महिलाओं के उत्कृष्ट कार्यों और योगदान को देखते हुए गनिका ठाकुर, अर्चना वर्मा, कल्पना, मीनाक्षी शर्मा एवं सीमा शर्मा को भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल इन महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे चौपाल क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी है।
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में नया कीर्तिमान
महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ चौपाल विकास खंड ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य किया है। व्यवस्थित प्लास्टिक कचरा संग्रहण, पृथक्करण और निस्तारण के माध्यम से स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए हैं। इस मॉडल की सराहना अन्य विकास खंडों में भी की जा रही है।
क्लस्टर लेवल फेडरेशन से आत्मनिर्भरता की ओर
क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) के माध्यम से महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की मजबूत नींव रखी है। वित्तीय प्रबंधन, स्वरोज़गार, उत्पादन और विपणन में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी यह साबित करती है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर महिलाएँ हर क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती हैं।
अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणास्रोत बना चौपाल
बीडीओ विनीत ठाकुर के नेतृत्व में किए गए इन प्रयासों ने चौपाल को महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता का एक आदर्श मॉडल बना दिया है। चौपाल की महिलाएँ आज न केवल अपने परिवार और समाज को सशक्त बना रही हैं, बल्कि प्रदेश और देश की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।
2014 से शुरू हुआ आत्मनिर्भरता का सफर
इस फेडरेशन की सबसे बड़ी खासियत इसकी संरचना है. इसमें 60 साल से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं। उद्देश्य साफ है कि इस उम्र में कोई भी खुद को बोझ या असहाय न समझे। यहाँ बुजुर्ग अपने अनुभव, मेहनत और अनुशासन से दोबारा खुद को समाज के लिए उपयोगी साबित कर रहे हैं।
खंड वृद्धजन फेडरेशन की शुरुआत वर्ष 2014 के आसपास हेल्पएज इंडिया और हिमाचल प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (HPSRLM) के संयुक्त प्रयास से हुई थी। चौपाल ब्लॉक के 57 गांवों में 80 स्वयं सहायता समूह बनाए गए, जिनसे करीब 1000 बुजुर्ग जुड़े हुए हैं। इन सभी समूहों को मिलाकर इस फेडरेशन का गठन किया गया।
फेडरेशन का मुख्यालय और मुख्य प्रोसेसिंग यूनिट नेरवा में स्थित है। यहां आधुनिक मशीनों की मदद से स्थानीय उत्पादों की प्रोसेसिंग की जाती है। उत्पादन से लेकर पैकेजिंग और मार्केटिंग तक की पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी मोर सिंह संभालते हैं, जो इस फेडरेशन के मैनेजर हैं।
