शिमला, 18 अगस्त। आपदा की मार झेल रहे पहाडों की रानी शिमला में अग्रेजों के समय की हेरिटेज इमारतें भी महफूज नहीं हैं। भारी वर्षा ने शहर की प्राचीन ऐतिहासिक भवनों को भी खतरा पैदा कर दिया है।
उपनगर समरहिल के समीप स्थित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी) का परिसर भी खतरे की जद में आ गया है। यह पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
खास बात यह है कि बीते सोमवार को समरहिल के शिव बावड़ी मंदिर में हुई तबाही का आगाज़ भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान से हुआ था। इसी संस्थान के परिसर से दरके पहाड़ का पूरा मलबा भूस्खलन के साथ शिव मंदिर को बहाकर अपने साथ ले गया। यह संस्थान एक पहाड़ी पर स्थित है और इसके लगभग 500 मीटर नीचे तबाह हुआ शिव बावड़ी मंदिर है। 14 अगस्त की सुबह भारी वर्षा से संस्थान के परिसर से पहाड़ी दरकी और इसने समरहिल व बालूगंज को जोड़ने वाली सड़क तथा कालका-शिमला रेल ट्रैक को ध्वस्त करने के बाद शिव बावड़ी मंदिर को भी तबाह कर दिया।
इस भूस्खलन से भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के परिसर को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। भूस्खलन से संस्थान के पिछ्ली तरफ पूरी की पूरी रिटेनिंग वॉल गिर गई है। साथ ही परिसर में कई जगह दरारें आ गई है। संस्थान के आगे के परिसर की जमीन भी धंस गई है जबकि आगे का डंगा धंसने की कगार पर है।
एसडीएम शिमला शहरी भानु गुप्ता ने शुक्रवार को संस्थान का दौरा करने के बाद कहा कि जमीन धंसने से इस हेरिटेज भवन के परिसर में भी दरारें आ गई हैं, जिसको लेकर नगर निगम शिमला को सूचित कर दिया गया है। प्रशासन की टीम यहां का दौरा करेगी। उसके बाद पता चलेगा कि भवन को कितना खतरा है।
एसडीएम ने बताया कि संस्थान के वाटर टैंक फटने की बात में कोई सच्चाई नहीं है तथा मौके पर ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आया है।
बता दें कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) जो कि शोध संस्थान है जो 1964 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था। जिसने 20 अक्टूबर 1965 से काम करना शुरू कर दिया था। अंग्रेजी हकूमत ने इस आलीशान इमारत को 1884-1888 से भारत के वाइसराय लॉर्ड डफरीन के घर के रूप में बनाया गया था। जिसे वाइसरेगल लॉज के रूप में जाना जाता था। लोक निर्माण विभाग के एक वास्तुकार हेनरी इरविन ने डिजाइन किया था। वाइसरेगल लॉज प्रदेश का ऐसा पहला संस्थान है जिसमें बिजली थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इमारत में कई ऐतिहासिक निर्णय किए गए हैं। 1945 में सिमला सम्मेलन इसी भव्य ईमारत में आयोजित किया गया था.भारत से पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान को बनाने का निर्णय 1947 में भी इसी जगह लिया गया था।
1947 भारत की आज़ादी के बाद इसे राष्ट्रपति निवास बनाया गया। लेकिन बाद में यानी कि20 अक्तूबर, 1965 को इस भवन को भारतीय उच्च अध्यन संस्थान के रूप में तब्दील कर दिया गया। राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस ईमारत को भारतीय उच्च अध्यन संस्थान का दर्जा दिया था। एडवांस स्टडी शोधकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र है।