शिमला, 01 सितम्बर। प्रदेश सरकार ने राजधानी शिमला में बिजली की तारों को अंडरग्राउंड केबल में तबदील करने की कवायद शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सचिवालय से सीटीओ शिमला के मध्य भूमिगत विद्युत केबल बिछाने के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किये जायेंगे। उन्होंने अधिकारियों से भूमिगत विद्युत केबल बिछाने के दौरान उचित निकासी (डक्ट) की सुविधा सुनिश्चित करने को कहा। इससे भारी बर्फबारी और प्रतिकूल मौसम में भी शिमला शहर में उपभोक्ताओं को निर्बाध और चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने अधिकारियों को लोगों की सुविधा के लिए राज्य के अन्य भागों में भी विद्युत केबल बिछाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में प्रचुर जल संसाधन उपलब्ध हैं और राज्य में जल विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता 24567 मेगावाट है, जिसमें से 172 परियोजनाओं के माध्यम से 11150 मेगावाट बिजली का दोहन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के माध्यम से शेष विद्युत क्षमता का दोहन करने के प्रयास कर रही है। उन्होंने अधिकारियों को आगामी जल विद्युत परियोजनाओं में गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विद्युत क्षमता के उचित दोहन को प्राथमिकता प्रदान कर रही है। यह क्षेत्र हिमाचल को देश का आत्मनिर्भर राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल को देश के हरित ऊर्जा राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है और वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान 500 मेगावाट की क्षमता की नई सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार चम्बा जिला के पांगी क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के सुदृढ़ीकरण के लिए सौर ऊर्जा आधारित बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पायलट आधार पर प्रदेश के प्रत्येक जिले की दो-दो पंचायतों को हरित पंचायत बनाने का निर्णय लिया है। इन पंचायतों में 500 किलोवाट से एक मेगावाट क्षमता वाली सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जाएंगी।