शिमला, 25 सितंबर। विधायक संजय रत्न के सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड में जूनियर इंजीनियर के 2234 स्वीकृत पद हैं। इनमें 1573 पद भरे हुए हैं, जबकि 661 पद रिक्त हैं। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि विद्युत बोर्ड मेें जुनियर इंजीनियर के पदों को बैचबाइज भरने का कोई प्रावधान नहीं है।
विधायक बलवीर वर्मा के सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरूद्ध सिंह ने कहा कि ग्रामसभाओं की ओर से मनरेगा के तहत सार्वजनिक कार्यों की बजाय व्यक्तिगत कार्यों के लिए धनराशि की ज्यादा मांग आती है। इस पर ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए जांएगे कि मनरेगा के अंतर्गत व्यक्तिगत कार्यों की बजाय सार्वजनिक कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने बताया कि चौेपाल, कुपवी और ठियोग विकास खंडों में इस वर्ष मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कार्यों के लिए 24 करोड़ 54 लाख और सार्वजनिक कार्यों के लिए सात करोड़ 36 लाख मंजूर हुए हैं।
प्रदेश में बन रहे 39 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
विधायक चैतन्य शर्मा के सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 75 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस हैं, जिनकी क्षमता 126 एमएलडी है। उन्होंने कहा कि 51 एमएलडी की क्षमता के 39 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस निर्माणाधीन हैं, जबकि 60 प्लांटस लगान प्रस्तावित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उना जिला में स्वां नदी के तटीयकरण पर 1500 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है।
मनाली के विधायक भुवनेश्वर गौड़ के सवाल के जवाब में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में मनाली विधानसभा क्षेत्र में जल रही जल विद्युत परियोजनाओं से लाडा के तहत कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई है।
विधायक सुखराम चोैधरी के सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री अनिरूद्व सिंह ने कहा कि प्रदेश की 3615 ग्राम पंचायतों में 429 ग्राम पंचायतों के पास अपना पंचायत भवन नहीं है। इनमें 324 ग्राम पंचायतों से नए पंचायत भवन निर्माण के लिए भूमि के राजस्व दस्तावेज प्राप्त होने पर धनराशि जारी की जा चुकी है। इसके अलावा शेष 105 ग्राम पंचायतों के दस्तावेज नहीं प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पंचायत भवन के लिए पहले 33 लाख का प्रावधान था, इस राशि को बढ़ाकर अब 1.14 करोड़ किया गया है। यह रकम तीन किश्तों में जारी की जाती है। पंचायत भवन के लिए कम से कम 10 बिस्वा जमीन अनिवार्य की गई है।