राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को शिक्षण-प्रशिक्षण का माध्यम बनाने पर विचार: केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री

शिमला, 06 अक्टूबर। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को त्वज्जो देने बल दिया है। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में शुक्रवार को “भारतीय भाषाओं के अंतरसंबंध” विषय पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए सुभाष सरकार ने कहा कि भारत बहुभाषी राष्ट्र है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय भाषाओं और विशेषकर मातृभाषाओं को शिक्षण-प्रशिक्षण का माध्यम बनाया जाना चाहिए। इस दिशा में विभिन्न भारतीय भाषाओं के अवलोकन बिंदु से भारतीय भाषाओं की आपसी एकता पर विचार विमर्श प्रस्तावित है। इस दिशा में कई कार्य चल रहे हैं, जैसे शब्दकोश निर्माण, पाठय सामग्री का निर्माण, नौकरियों की परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं का समावेश आदि। इस संगोष्ठी में हुए विचार विमर्श से इन प्रयासों का मार्ग प्रशस्त होगा।

उन्हांेने अपने उदघाटन वक्तव्य की शुरुआत विभिन्न भारतीय भाषाओं में नमस्कार शब्द के उच्चारण के साथ किया और कहा कि प्राकृतिक सुंदरता से भरे इस प्रदेश में ऐसे विश्वस्तरीय ज्ञान कोश संस्थान का होना एक अलग ही अनुभूति प्रदान करता है। इस संस्थान को मानविकी और समाजशास्त्रों के विषयों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बनाए जाने की बात भी कही।

उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के परस्पर संबंध को प्रगाढ़ता प्रदान करना है। यह संगोष्ठी भारतीय भाषाओं का सम्मिलन साबित हो, यही प्रयोजन है। यह भारतीय भाषाओं की नई पहचान, अस्मिता और इनकी आंतरिक संरचना,  बाह्य बनावट और विचारात्मक समन्वय का एक प्रयास है।

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