शिमला, 21 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय को देश के आदर्श शिक्षण संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए विश्वविद्यालय की अकादमिक एवं अनुसंधान गतिविधियों को और बेहतर तरीके से चलाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहने की जरूरत है। यह बात शनिवार को राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय कोर्ट की 34वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
राज्यपाल ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला को ए-ग्रेड प्रदान करने के लिए बधाई देते हुए कहा कि सभी के योगदान व प्रयास से यह सफलता प्राप्त हुई है लेकिन अभी बहुत परिश्रम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को देश के विख्यात शिक्षण संस्थानों की श्रेणी में लाने के लिए सभी के अथक प्रयास व सकारात्मक दृष्टिकोण की जरूरत है।
विश्वविद्यालय कोर्ट की बैठक में शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों के रिक्त पदों की भर्ती व अन्य विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा कर समाधान किया गया। उन्होंने कहा कि यह बैठक वर्ष में कम से कम दो बार आयोजित की जानी चाहिए ताकि विश्वविद्यालय की समस्याओं व आवश्यकताओं पर शीघ्र चर्चा कर शिक्षण संस्थान व छात्रों के समग्र विकास एवं सुधार बारे कार्यवाही अमल में लाई जा सके। उन्होंने कहा कि कोर्ट के सक्षम व अनुभवी सदस्यों के सहयोग से विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों में उल्लेखनीय सुधार तथा विकास सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में अकादमिक और अनुसंधान के स्तर को ऊंचा उठाया जाना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में सेवारत अध्यापक वर्ग का कर्तव्य है कि नई पीढ़ी को मात्र उपाधि धारक बना देने से अपना दायित्व पूरा न समझें बल्कि युवाओं में सामयिक चुनौतियों से निपटने के लिए साहस और क्षमता विकसित करना भी प्रमुख जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी अकादमिक और अनुसंधान गतिविधियों को इस प्रकार संचालित करना होगा ताकि आज का विद्यार्थी भविष्य में बेरोजगारी जैसी चुनौतियों से निपटने में समर्थ हो सके।
शुक्ल ने कहा कि देवभूमि हिमाचल अपने नैसर्गिक सौंदर्य, ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात है, लेकिन इस वर्ष अत्यधिक बारिश से आई आपदा से हुई जान-माल की क्षति ने प्रदेशवासियों को भविष्य में पर्यावरण के प्रति सचेत रहने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ती नशाखोरी, प्रदूषण व असुरक्षित पर्यावरण जैसी गंभीर समस्याओं के प्रति सभी वर्गों को समय रहते कारगर कदम उठाने की आवश्यकता है।