शिमला, 26 नवम्बर। हिमाचल प्रदेश सरकार के राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने जीएसटी राजस्व बढाने और कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए कई नई पहल की हैं। विभाग की इस कवायद से कर चोरी करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
जीएसटी प्रणाली में धोखाधड़ी से किए गए पंजीकरण से सरकारी राजस्व को होने वाले भारी नुकसान पर रोक लगाने के लिए विभाग ने पंजीकरण आवेदन के साथ संलग्न दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बाद मैन्युअल मोड में जीएसटी पंजीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा विभाग जोखिमपूर्ण समझे जाने वाले पंजीकरणकर्ताओं के भौतिक सत्यापन के लिए भी उचित उपाय कर रहा है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि कर चोरी की पहचान करने और उस पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के दृष्टिगत विभाग द्वारा केंद्रीय कर अधिकारियों के साथ भी समन्वय के साथ कार्य किया जा रहा है। धोखाधड़ी करने वाले करदाताओं का शीघ्र पता लगाने के लिए राज्य मुख्यालय में पुख्ता व्यवस्था स्थापित की जा रही है ताकि कर चोरी के मामलों को प्रथम चरण में ही रोके जाने के साथ ही राजस्व हानि को कम किया जा सके।
प्रवक्ता ने कहा कि कर चोरी के मामलों का शीघ्र पता लगाने, कर प्रशासकों की क्षमता निर्माण, राजस्व वृद्धि की गुंजाइश वाले क्षेत्रों की पहचान व क्षेत्र संरचनाओं के प्रदर्शन की निगरानी में सुधार और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत करने की दिशा में भी काम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी मुआवजे के घाटे को कम करने के लिए सरकार द्वारा जीएसटी राजस्व वृद्धि परियोजना आरम्भ की गई है। इस परियोजना से सामान्य राजस्व वृद्धि के अलावा लगभग 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व वृद्धि अपेक्षित है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार कर अनुपालना में गुणात्मक सुधार लाने के लिए भी निरंतर प्रयास कर रही है। इसके दृष्टिगत व्यापारियों, निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा व्यापारियों को सुविधा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने सद्भावना योजना-2023 शुरू की है। इसके तहत सामान्य बिक्री कर, केंद्रीय बिक्री कर और प्रवेश शुल्क इत्यादि अधिनियमों के तहत लम्बित मामलों का निपटारा सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कर चोरी मामलों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ विभाग के अधिकारियों की दक्षता और क्षमता बढ़ौतरी के लिए पुनच्श्रर्या कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग राजस्व वृद्धि के लिए जीएसटी परिषद के साथ भी विभिन्न मामलों को निरंतर उठाता रहा है। उपभोक्ताओं और अन्य अपंजीकृतों द्वारा 50 हजार रुपये से अधिक की खरीद के आपूर्ति स्थान को रिकार्ड करने के लिए जीएसटी परिषद की मंजूरी प्राप्त करने में भी विभाग सफल रहा है।