शिमला, 14 दिसम्बर। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में 9 राज्यों के हस्तशिल्प कारों के उत्पाद लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं। बुधवार से शुरू हुए इस कारीगरों का मेले में नौ राज्यों के कारीगरों ने अपने उत्पाद प्रदर्शनी और बिक्री के लिए लगाए हैं। मेले में मणिपुर के काले पत्थर से बने कप और प्लेट आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वहीं कश्मीरी पशमीना शॉल, स्टॉल, साड़ी, मफलर, जैकेट और बैग सहित अन्य उत्पाद भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं। 23 दिसंबर तक चलने वाले इस मेले में नौ स्टॉल लगाए गए हैं।
कारीगरों का मेला के आयोजक सुधीर शर्मा ने बताया कि इस मेले में कोई भी ट्रेडर नहीं है सभी प्रोडक्ट्स कारीगरों द्वारा अपने हाथो से तैयार किए जाते है और उन्हें खुद ही बेचते है। मेले में मणिपुर, असम, नगालैंड, जम्मू-कश्मीर, बनारस, हिमाचल प्रदेश, हैदराबाद और मध्य प्रदेश के उत्पाद लगाए गए हैं। इस मेले का उद्देश्य हथकरघा और शिल्पकारों को मंच प्रदान करना है ताकि कारीगरों को इसका फायदा और लोगों को एक मंच पर अलग अलग राज्य की संस्कृति की झलक भी देखने को मिल सके।
मेले में आए कारीगरों का कहना है कि वह विभिन्न राज्यों में इस तरह की प्रदर्शनी पहले भी लगा चुके है।मणिपुर के कारीगर चंद्रकांत ने बताया कि मणिपुर में काला पत्थर अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल लोग बर्तन बनाने के लिए करते हैं। कप बनाने के लिए पहले काले पत्थर को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद इसमें पानी मिलाकर कप और प्लेट का आकार दिया जाता है। वहीं जम्मू कश्मीर के कारीगर राइस अहमद ने बताया कि लोग ज्यादातर कश्मीरी शॉल और सूट पसंद करते है। उन्होंने बताया कि शॉल में डिजाइन खुद ही हाथों से तैयार किया जाता है जिसे बनाने में करीब 15 दिन लग जाते है।