भाजपा ने दिलाई हिमाचल को बिजली की रॉयल्टी, हिमाचल विरोधी मानसिकता वाला कांग्रेस का बयान तथ्यहीन : धूमल

शिमला, 17 जनवरी। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कांग्रेस नेताओं के उस बयान की कड़ी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने भाजपा के हिमाचल विरोधी मानसिकता का जिक्र किया गया है। धूमल ने बुधवार को कहा कि इस बयान को तथ्यहीन और गैरजिम्मेदारान करार दिया और कहा कि कांग्रेस नेताओं ने इस तरह का बयान देने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं समझा।
धूमल ने कहा कि पहली नवम्बर 1966 को पंजाब का पुनर्गठन हुआ और उस दौरान हरियाणा नया राज्य बना और पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल में सम्मलित हुआ, उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। संसद में पारित किये गये कानून पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के अन्तर्गत जितनी आबादी पुनर्गठन के आधार पर जिस प्रदेश में गई उतनी ही परिसम्पत्तियां और देनदारियां उस राज्य को मिलीं।
धूमल ने कहा कि उस समय देश और तीनों प्रदेशों में कांग्रेस सत्ता में थी परन्तु दुख की बात है कि जब भाखड़ा बांध व अन्य परियोजनाओं का बंटवारा हो रहा था तब हिमाचल सरकार के मुख्यमन्त्री या मन्त्री किसी बैठक में शामिल नहीं हुये, परिणामस्वरूप हिमाचल का दावा कमजोर रहा। धूमल का कहना है कि भाजपा ने ही बिद्युत परियोजनाओं में रॉयल्टी और हिमाचल के हिस्से का प्रश्न उठाया। अपनी मांगों को लेकर हिमाचल से लेकर दिल्ली तक अधिकार यात्रा निकाली गई। पूर्व मुख्यमन्त्री शान्ता कुमार विधायक दल के नेता थे और उस समय उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी।
धूमल ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए शांता कुमार ने 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के हिस्सा का मुद्दा उठाया और तत्कालीन केन्द्रीय ऊर्जा मन्त्री कल्पनाथ राय ने इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल को रॉयल्टी दिलाने का श्रेय भी भाजपा नेतृत्व को जाता है। 1995 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह ने उच्चतम न्यायालय में हिमाचल के हिस्से के लिये हिमाचल सरकार की ओर से मुकदमा दायर करने का निर्णय लिया था। वर्षों तक यह मामला अदालत में लटका रहा। 2008 में पुनः सत्ता में आने पर मैंने त्वरित कार्यवाही करने के लिये अनेकों बैठकें की और बढ़िया से बढ़िया वकील उच्चतम न्यायालय में प्रदेश की पैरवी करने के लिये नियुक्त किये। सितम्बर 2012 में उच्चतम न्यायालय का निर्णय हिमाचल प्रदेश के पक्ष में आया जिसके अनुसार 12 प्रतिशत मुफ्त बिजली के अतिरिक्त पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अन्तर्गत हिमाचल को 7.19 प्रतिशत हिस्सा पहली नवम्बर 1966 से मिला।
धूमल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने एक समिति का गठन किया जिसने पहली नवम्बर 1966 से सितम्बर 2012 तक की 4300 करोड़ रूपये की बकाया राशि निकाली।
उन्होंने कहा कि दिसम्बर 2012 में कांग्रेस सत्ता में आ गई, अब कांग्रेस सरकार बताये कि उन्होंने 4300 करोड़ रूपये का बकाया लेने के लिये 2012 से 2017 के बीच क्या कदम उठाये?
धूमल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपना अधिकार और बकाया राशि लेने के लिये गम्भीर प्रयास नहीं किये। सरकार के पास सारे रिकार्ड कानूनी लड़ाई से लेकर अन्य पत्राचार तक उपलब्ध हैं, पैसा तो सम्बन्धित राज्यों से लेना था इसमें यदि अपना पक्ष सही ढंग से रखा जाता तो निश्चित तौर पर प्रदेश को लाभ होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *