पूर्व सरकार के कुप्रबन्ध के कारण आर्थिक तंगहाली से गुजर रहा हिमाचल: नरेश चौहान

शिमला, 17 जनवरी। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने आरोप लगाया है कि पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में डबल इंजन की सरकार का दावा करने वाली सरकार की वित्तीय कुव्यवस्था के कारण ही आज प्रदेश आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा 14500 करोड़ रूपये का कर्ज लिया गया और वर्तमान सरकार के सत्ता सम्भालते ही पुरानी पेंशन बहाल करने के बाद केन्द्र सरकार द्वारा कर्ज लेने की सीमा को 14500 करोड़ से घटाकर 6600 करोड़ कर दिया गया जो इस प्रदेश के साथ सरासर बेइन्साफी है। इससे साबित होता है कि भारत सरकार की मंशा क्या है। पूर्व सरकार कर्जे पर कर्जा लेती रही और उस पर कोई बंदिश नहीं थी लेकिन सरकार बदलते ही कर्ज की सीमा को कम कर दिया गया। यहां तक कि एशियन बैंक, विश्व बैंक ब्रिक्स बैंक की भी कैपिंग कर दी ताकि 2700 करोड़ रूपये का कर्ज केवल तीन साल में ही लिया जा सके।
मीडिया सलाहकार ने कहा कि वर्तमान सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की अर्थ व्यवस्था को बेहतर करने प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार द्वारा की गई शराब के ठेकों की नीलामी से 600 करोड़ रूपये का राजस्व बढ़ा है। हमारी सरकार सैस की लड़ाई लड़ रही है और यह एक बहुत महत्वपूर्ण फैसला है जिस बारे विगत 75 सालों में किसी भी सरकार ने नहीं सोचा। 
यह पूछे जाने पर कि सरकार स्कूलों में गैस्ट फेकल्टी टीचरों की नियुक्ति करने जा रही है जबकि प्रदेश भर में इस निर्णय का पूरा विरोध हो रहा है, नरेश चौहान ने कहा कि यह सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था है लेकिन शिक्षित बेरोजगार युवाओं को घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूलों में गैस्ट फेकल्टी टीचरों की सेवाएं ली जाएंगी क्योंकि शिक्षा विभाग में एक साल में 10 हजार के करीब तबादले होते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है और इसके लिए मेधावी छात्रों को गैस्ट फेकल्टी के तौर पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग इस निर्णय पर बेवजह हो-हल्ला कर रहे हैं जबकि यह एक अस्थाई व्यवस्था है ताकि जहां एक ओर बच्चों को उनके घर-द्वार पर शिक्षा उपलब्ध होगी, वहीं बेरोजगार युवाओं को अस्थाई रोजगार की भी व्यवस्था होगी। 
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