शिमला, 29 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस की सुक्खू सरकार ने गुरूवार को कैबिनेट बैठक बुलाकर कई अहम निर्णय लिए। खास बात यह रही कि सीएम सुक्खू की कार्यशेली से नाराज होकर कुछ घण्टों के लिए मंत्री से इस्तीफे का एलान करने वाले विक्रमादित्य सिंह के चुनावी हल्के को कैबिनेट बैठक में सौगात मिली है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में लोकनिर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के चुनावी हल्के शिमला ग्रामीण के सुन्नी स्थित 50 बिस्तर क्षमता वाले नागरिक अस्पताल को 100 बिस्तर क्षमता के नागरिक अस्पताल में स्तरोन्नत करने का निर्णय लिया। इसी तरह कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के सुरानी में एक नया विकास खंड खोलने का भी निर्णय लिया गया। शिमला जिला के कोटखाई क्षेत्र में राजकीय प्राथमिक पाठशाला, बाघी को राजकीय केन्द्र प्राथमिक पाठशाला में स्तरोन्नत करने का भी निर्णय लिया गया।
बता दें कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह बागी विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने के बाद विक्रमादित्य सिंह ने पिछले कल सुबह प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर मंत्री पद से इस्तीफे का एलान कर दिया था। विक्रमादित्य सिंह ने नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री सुक्खू पर कई आरोप भी लगाए थे। हालांकि शाम को विक्रमादित्य सिंह के तेवर नरम पड़े और उन्होंने इस्तीफा वापिस ले लिया।
कैबिनेट ने प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए 140 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति को मंजूरी प्रदान की।
कैबिनेट बैठक में हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत पंजीकृत डेढ़ लाख श्रमिकों, आशा वर्कर, आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाने का निर्णय लिया गया।
कैबिनेट ने ग्राम पंचायतों एवं नगर निकायों (म्युनिसिपेलेटीज) की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और प्रदेश सरकार को इस संदर्भ में संस्तुति प्रदान करने के दृष्टिगत 7वें राज्य वित्त आयोग के गठन का निर्णय लिया।
इसके अलावा बैठक में हिमाचल प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति-2019 के तहत और मदों को शामिल करने का निर्णय लिया गया ताकि सूचना प्रौद्योगिकी, आयुष, स्वास्थ्य, पर्यटन और शिक्षा इत्यादि विभिन्न सेवा क्षेत्रों में और अधिक निवेश आकर्षित किया जा सके।
कैबिनेट ने श्रीनिवास रामानुजन डिजिटल डिवाइस योजना के अंतर्गत मेधावी विद्यार्थियों को 25 हजार रुपये तक की राशि तक प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण पद्धति अपनाने को अपनी स्वीकृति प्रदान की।