शिमला। देश की मंडियों को हिमाचली मटर का बेसब्री से इंतजार रहता है। इसकी वजह है कि पहाड़ी मटर पौष्टिक होने के साथ स्वाद में भी बेमिसाल होता है। प्रदेश से बाहरी राज्य में भेजे जाने वाली हरी मटर होटलों में थाली का जायका बढ़ाती हैं। दूसरा मैदानी क्षेत्रों में मटर का सीजन अब खत्म होने को है। ऐसे में हिमाचल में बेमौसमी पैदा होने वाली हरी मटर की देश की बड़ी मंडियों में भारी मांग रहती है।
पहाड़ी मटर पर मौसम की मार
प्रदेश के कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों से 15 से 20 मार्च के आसपास लोकल मंडियों में मटर पहुंचा शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार विंटर सीजन में सूखा पड़ने से मटर की बुआई देरी से हुई है। यही वजह इस बार सीजन दो सप्ताह लेट है। हालांकि सोलन की सब्जी मंडी में सिंचाई की सुविधा वाले निचले क्षेत्रों से मटर पहुंचनी शुरू हो गई है, लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में अभी मटर का सीजन शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में देश की बड़ी मंडियों में कारोबारियों को हिमाचली मटर का बेसब्री से इंतजार है।
हिमाचल में रबी सीजन में पैदा होने वाले बेमौसमी मटर की महानगरों में काफी अधिक मांग रहती है। बड़े शहरों में पहाड़ी मटर फाइव स्टार होटलों में थाली का जायका बढ़ाता है। ऐसे में देश की बड़ी मंडियों में हिमाचली मटर की भारी डिमांड रहती है। प्रदेश में शिमला सहित अन्य लोकल मंडियों में बाहरी राज्यों से कारोबारी मटर खरीदने पहुंचते हैं, लेकिन इस बार सीजन लेट होने से कारोबारी भी मायूस हैं. प्रदेश भर से हर साल सैकड़ों टन मटर दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद व सूरत सहित बड़ी मंडियों में भेजा जाता है। जिस कारण हिमाचल में किसानों को मंडियों में मटर का अच्छा भाव मिलता है।
पहाड़ी हरी मटर देखने में चमकदार होने के साथ सबसे ज्यादा पौष्टिक फलीदार सब्जियों में से एक है। हरी मटर में कार्ब्स, प्रोटीन और फाइबर, विटामिन ए और विटामिन के सहित कई लाभकारी पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। ऐसे में हरी मटर की मंडियों में काफी अधिक मांग रहती है।